इलाहाबाद हाईकोर्ट
UP News: उत्तर प्रदेश में 100 वर्षीय महिला से कथित तौर पर बलात्कार और फिर उसकी हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहा एक शख्स अदालत से बरी हो गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे दोषमुक्त करते हुए बरी किया. हाईकोर्ट में जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस गौतम चौधरी की पीठ ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलट दिया.
यह मामला अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है. लोग यह समझ नहीं पा रहे कि मेरठ की 100 वर्षीय महिला के साथ रेप और हत्या के प्रयास के मामले में दोषी ठहराए गए शख्स को क्यों बरी कर दिया गया?
2017 में दर्ज कराया गया था रेप-मर्डर का केस
दरअसल, मेरठ जिले के जानी थाने में 29 अक्तूबर 2017 को एक शख्स (जिसका नाम अंकित पूनिया है) पर वृद्धा से दुष्कर्म, एससी/एसटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. घटना के बाद वृद्धा को अस्पताल ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी. इसके बाद शख्स पर हत्या की धारा में भी मुकदमा दर्ज करा दिया गया.
20 नवंबर 2020 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई
अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए 20 नवंबर 2020 को उम्रकैद की सजा सुनाई. उसे जेल भेज दिया गया. हालांकि, विशेष अदालत के उस आदेश को आरोपी के पक्ष द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की पीठ ने मामले की सुनवाई की.
निष्पक्ष और सच्ची गवाही साबित नहीं हुई
पीठ ने उपरोक्त मामले में स्वतंत्र गवाह न होने, मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म व हत्या की पुष्टि नहीं होने पर ट्रायल कोर्ट के उम्रकैद की सजा के आदेश को पलट दिया. साथ ही अंकित पूनिया को बरी भी कर दिया.
बलात्कार की घटना की पुष्टि नहीं हुई
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में वृद्धा की मेडिकल रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उनके शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं पाई गई और शरीर पर बल प्रयोग के भी कोई निशान नहीं थे. फैसले में कहा गया कि वो वृद्धा बीमार थीं और बाद में ‘सेप्टीसीमिया’ से उनकी मौत हुई थी.
— भारत एक्सप्रेस
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