सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
दिल्ली एनसीआर में 5 दिसंबर तक ग्रेप 4 (GRAP-4) लागू रहेगा. वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली, यूपी, राजस्थान और हरियाणा के मुख्य सचिवों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने को लेकर तलब किया. कोर्ट ने सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होने की छूट दी है.
हम यहां बैठकर सरकार नहीं चला सकते
कोर्ट ने कहा कि अब आपको मामले कि गंभीरता समझ आएगी. हम यहां बैठकर सरकार नहीं चला सकते. सभी प्राधिकार उचित कदम उठाएं. अदालत में सुझावों के बाद तय होते हैं या आदेशित किए जाते हैं. कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट से बेहद चौंकाने वाली बातें सामने आईं दिल्ली सरकार, एमसीडी, डीपीसीसी, सीएक्यूएम और अन्य प्राधिकरणों के बीच समन्वय का पूर्ण अभाव है. यह समन्वय सुनिश्चित करने के लिए कमीशन है, इसके निर्देश पर ही ग्रैप-4 लागू किया गया है.
हम कोर्ट कमिश्नरों के काम की सराहना करते हैं. उन्होंने कहा है कि उन्होंने अपनी ड्यूटी के दौरान अपनी जान जोखिम में डाली है. हम दिल्ली पुलिस को निर्देश देते हैं कि वह इस अदालत में की गई कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट दाखिल करें. यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि बार के जिन सदस्यों को कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर बनाया है वो सुरक्षित रहें. कोर्ट 5 दिसंबर को साढ़े 3 बजे इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
अधिकारी के घर नियमों का उल्लंघन हो रहा
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है. कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट के जरिए दावा किया कि एक सीनियर अधिकारी के घर प्रदूषण से जुड़े नियमों का उल्लंघन हो रहा था. शिकायत करने पर उन्हें धमकी दी गई.एमिकस एडीएन राव ने कहा कि सैकड़ों ट्रक पार कर रहे हैं. वे सभी आपातकालीन सेवाओं के लिए नहीं हो सकते. एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि कोर्ट कमिश्नर सुरक्षित नहीं हैं.
दिल्ली सरकार के कितने अधिकारी है
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शादान फारसात ने कहा कोर्ट कमिश्नर एक या दो उल्लंघनों की ओर इशारा कर रहे हैं. हम उनकी देखभाल करेंगे लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पूरा शहर नियमों का पालन नहीं कर रहा है. जिसपर जस्टिस अभय एस ओका ने पूछा कि प्रत्येक प्रवेश बिंदु पर दिल्ली सरकार के कितने अधिकारी है. फरासत ने कहा कि मेरे पास डेटा नहीं है. लेकिन हमने प्रत्येक स्थानीय आयुक्त के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं.
वहीं कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि करीब 30 से 40 फीसदी अधिकारियों को अपनी ड्यूटी पता नही है.जस्टिस ओका ने कहा कि एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जिसके द्वारा आप लोगों को नियुक्त करें. कोर्ट कमिश्नर मनन वर्मा ने अपनी रिपोर्ट पढ़ी. कहा- CAQM की धारा 14 के तहत अधिकारियों पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. मुकदमा दर्ज ना होने के कारण ग्रेप का कार्यान्वयन बहुत कम हुआ है.
कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि ग्रेप लागू करना एक आपातकालीन उपाय है. समस्या को रोकने के लिए कोई नीति नहीं है. एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि सीएक्यूएम और ईपीसीए द्वारा एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई है.
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-भारत एक्सप्रेस
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