मल्लिकार्जुन खड़गे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित बयान देने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश देने से तीस हजारी कोर्ट ने इनकार कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने अप्रैल 2023 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली में बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ अभद्र भाषा का आरोप लगाने वाली शिकायत पर संज्ञान लिया है.
तीस हजारी कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट छतिंदर सिंह ने यह आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत जांच की कोई जरूरत नही है. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को समन-पूर्व जारी साक्ष्य पेश करने की स्वतंत्रता है.
कही भी दर्ज की जा सकती है प्राथमिकी
कोर्ट ने शिकायतकर्ता से कहा कि बाद में अगर उन्हें लगता है कि किसी विवादित तथ्यों से संबंधित जांच की जरूरत होती है तो धारा 202 सीआरपीसी के प्रावधान का सहारा लिया जा सकता है, जिसे 27 मार्च 2025 को समन-पूर्व साक्ष्य के लिए रखा जाएगा. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अपना रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा था कि विवादित बयान देने की घटना कर्नाटक की है, इसलिए दिल्ली में इसको लेकर कोई मामला नहीं बनता है. क्योंकि यह क्षेत्राधिकार से बाहर है. वही शिकायतकर्ता के वकील ने कहा था कि यह भड़काऊ बयान देने का मामला है और यह सोशल मीडिया और कई माध्यमों से पूरे देश मे फैल गया है. इसलिए इसको लेकर कही भी प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है.
पीएम मोदी के खिलाफ दिया था बयान
बता दें कि वकील रविंद्र गुप्ता ने मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए, 153 बी, 295 ए, 120बी और 34 के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. 27 अप्रैल को कर्नाटक के एक जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विवादित बयान दिया था. फिर दूसरे दिन के जनसभा में उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए खड़गे ने कहा था कि उन्होंने जहरीला वाला बयान भाजपा व आरएसएस को लेकर दिया था.
शिकायतकर्ता ने कहा था कि वह वर्षो से आरएसएस के जुड़ा रहा है और खड़गे के बयान से उन्हें काफी चोट पहुची है. इसको लेकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए उसने.सब्जीमंडी थाने से शिकायत की लेकिन कई आवेदन के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नही की है. इसलिए वे अदालत की शरण में आए है और प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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