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क्या धरती पर आते-जाते थे एलियन? कुवैत में मिली 7,000 साल पुरानी रहस्यमय मूर्ति से होगा खुलासा

कुवैत के उत्तरी इलाके में पुरातत्वविदों ने एक चौंकाने वाली खोज की है. यहां 7,000 साल पुरानी मिट्टी की मूर्ति मिली है, जो दिखने में किसी एलियन जैसी लगती है.

Clay Statue Found in Kuwait

Clay Statue Found in Kuwait: कुवैत के उत्तरी इलाके में पुरातत्वविदों (Archaeologists) ने एक चौंकाने वाली खोज की है. यहां 7,000 साल पुरानी मिट्टी की मूर्ति मिली है, जो दिखने में किसी एलियन जैसी लगती है. यह मूर्ति बहरा-1 (Bahra 1) नामक स्थल से मिली है. माना जाता है कि यहां कभी एक प्राचीन बस्ती हुआ करती थी.

यह मूर्ति उबैद संस्कृति से जुड़ी है. उबैद संस्कृति प्राचीन मेसोपोटामिया (Mesopotamian Civilisation) से आई थी और छठी सहस्राब्दी ईसा पूर्व (6th Millennium B.C.) में अरब की खाड़ी के नवपाषाण समाजों से मिली. यह खोज कुवैत और उसके आसपास के इलाकों की संस्कृति और इतिहास के बारे में नई जानकारियां देती है.

मेसोपोटामिया की मिट्टी से बनी है मूर्ति

इस मूर्ति का सिर बेहद बारीकी से बनाया गया है. इसमें तिरछी आंखें, चपटी नाक और लंबी खोपड़ी दिखती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह मूर्ति मेसोपोटामिया की मिट्टी से बनी है, जो अरब की खाड़ी की स्थानीय मिट्टी से अलग है.

पुरातत्वविदों का मानना है कि यह खोज उस समय के धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक जीवन को समझने में मदद करेगी. यह भी साफ होता है कि उबैद लोग अपनी परंपराओं को इस क्षेत्र में लाए थे.

बहरा-1 उत्तरी कुवैत में स्थित एक प्रागैतिहासिक (लिखित इतिहास के पहिले के समय का) स्थल है. यहां लोग करीब 5500 से 4900 ईसा पूर्व के बीच रहते थे. इस इलाके में 2009 से खुदाई चल रही है. यह कुवैती और पोलैंड के पुरातत्वविदों की एक संयुक्त परियोजना है.

बहरा-1 को अरब प्रायद्वीप की सबसे पुरानी बस्तियों में से एक माना जाता है. उस समय यहां उबैद संस्कृति के लोग रहते थे. यह संस्कृति अपने अनोखे मिट्टी के बर्तन और एलियन जैसी मूर्तियों के लिए जानी जाती है.

विशेषज्ञों की राय

गेन्ट विश्वविद्यालय (Ghent University) की पुरातत्वविद् ऑरेली डेम्स ने कहा कि यह मूर्ति प्राचीन धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक प्रथाओं पर रोशनी डालेगी. वॉरसॉ विश्वविद्यालय (University of Warsaw) की पुरातत्वविद् सिमजक ने इसे एक अद्भुत खोज बताया.

इस खोज से यह भी पता चलता है कि प्राचीन खाड़ी क्षेत्र और मेसोपोटामिया के बीच गहरे संबंध थे. विशेषज्ञ अब इस मूर्ति पर और अध्ययन कर रहे हैं ताकि इसकी बनावट और महत्व को बेहतर समझा जा सके.

-भारत एक्सप्रेस



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