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कितना देना पड़ता है एयर स्पेस इस्तेमाल करने का किराया, बंद से किसको ज्यादा नुकसान

पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र बंद होने से भारतीय उड़ानों में 4 घंटे तक की देरी, किराए में 8-12% वृद्धि. रूट डायवर्जन और ईंधन स्टॉपेज से एयरलाइंस और यात्रियों पर आर्थिक व लॉजिस्टिक बोझ बढ़ा.

India-Pakistan

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने भारतीय उड़ानों के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को पूरी तरह बंद कर दिया है, जिसके चलते दिल्ली से न्यूयॉर्क जैसे लंबे हवाई सफर में चार घंटे तक की देरी हो रही है. यह स्थिति यात्रियों के लिए समय की हानि और एयरलाइंस के लिए आर्थिक व लॉजिस्टिक चुनौतियां लेकर आई है.

उड़ानों पर गहरा असर

पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) जारी कर भारतीय पंजीकृत, स्वामित्व वाली, संचालित या किराए की सभी उड़ानों, जिसमें सैन्य विमान भी शामिल हैं, के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने की घोषणा की है. यह प्रतिबंध 24 मई, 2025 तक लागू रहेगा. फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, इस फैसले ने उत्तरी भारत से यूरोप, उत्तरी अमेरिका, मध्य पूर्व, मध्य एशिया और काकेशस क्षेत्र की उड़ानों को बुरी तरह प्रभावित किया है.

उदाहरण के लिए:

दिल्ली-न्यूयॉर्क: एयर इंडिया की उड़ान AI101 को अरब सागर के ऊपर डायवर्जन के कारण दो घंटे अतिरिक्त लगे, जबकि AI193 को वियना में ईंधन भरने के लिए रुकने से चार घंटे की देरी हुई.

  • दिल्ली-बाकू: सामान्य 3.5 घंटे की उड़ान अब 4.5 घंटे से अधिक ले रही है.
  • दिल्ली-त्बिलिसी: उड़ान समय लगभग दोगुना हो गया है.
  • दिल्ली-फ्रैंकफर्ट: AI2025 का यात्रा समय 1 घंटे 50 मिनट बढ़ गया.

मध्य पूर्व के गंतव्यों जैसे दुबई, दोहा और रियाद के लिए उड़ान समय में 20 मिनट, तुर्की के लिए 40 मिनट, और मध्य एशियाई शहरों जैसे बाकू व ताशकंद के लिए एक घंटे से अधिक की वृद्धि हुई है. यूरोपीय शहरों (पेरिस, वियना) के लिए दो घंटे और अमेरिका के लिए चार घंटे तक की देरी देखी जा रही है.

एयरलाइंस पर आर्थिक दबाव

पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र बंद होने से भारतीय एयरलाइंस को मार्ग बदलने पड़ रहे हैं, जिससे ईंधन खपत बढ़ी है और अतिरिक्त स्टॉपेज की जरूरत पड़ रही है. एक वरिष्ठ ट्रेवल इंडस्ट्री अधिकारी के अनुसार, इससे अंतरराष्ट्रीय हवाई किराए में 8-12% की वृद्धि हो सकती है. अधिक ईंधन ले जाने से पेलोड क्षमता कम हो रही है, जिसके लिए एयरलाइंस को यात्री या सामान की संख्या घटानी पड़ सकती है. इससे राजस्व में कमी और वित्तीय चुनौतियां बढ़ रही हैं.

गैर-भारतीय एयरलाइंस, जैसे यूनाइटेड एयरलाइंस, जो अभी भी पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग कर सकती हैं, इस स्थिति से अप्रभावित हैं. इससे उन्हें भारतीय वाहकों पर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल रहा है.

यात्रियों की परेशानी

यात्रियों के लिए लंबी उड़ानें और अतिरिक्त ठहराव थकाऊ साबित हो रहे हैं. उड़ान समय में वृद्धि के साथ-साथ किराए में संभावित बढ़ोतरी ने यात्रा योजनाओं को प्रभावित किया है. उदाहरण के लिए, दिल्ली-दुबई की उड़ानें अब लंबे मार्गों से होकर गुजर रही हैं, जिससे समय और लागत दोनों बढ़ गए हैं.

भारत-पाक तनाव का परिणाम

पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. पाकिस्तान का यह कदम उसी तनाव का हिस्सा है. जब तक दोनों देशों के बीच कोई समझौता नहीं होता या पाकिस्तान हवाई क्षेत्र नहीं खोलता, यह संकट बना रहेगा.

पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र बंद होने से भारतीय उड़ानों पर भारी असर पड़ रहा है. रूट डायवर्जन, उड़ान रद्दीकरण, अतिरिक्त समय और आर्थिक बोझ ने एयरलाइंस और यात्रियों दोनों को मुश्किल में डाल दिया है. इस स्थिति का समाधान राजनयिक स्तर पर ही संभव है, लेकिन तब तक भारतीय उड्डयन क्षेत्र को इन चुनौतियों का सामना करना होगा.

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-भारत एक्सप्रेस



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