Maldives President
China Indo Pacific Plan: चीन की हमेशा से ही प्लानिंग रही है कि किसी भी कीमत पर हिंद महासागर पर अपनी पकड़ मजबूत की जा सके और फिर भारत का घेराव किया जाए. हालांकि उसका यह प्लान कभी-भी सफल नहीं हो पाया लेकिन फिर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है. अब भारत से मदद ले चुके एक पड़ोसी देश की हनक बता रही है कि भारत को परेशान करने के लिए चीन फिर कुछ नई खिचड़ी पकाने लगा है. जी हां, हम बात कर रहे है मालदीव की. मालदीव के नए राष्ट्रपति को अचानक भारत द्वारा तोहफे में दिए गए हेलिकॉप्टर्स और प्लेन की देखभाल करने वाले भारतीय जवानों तक से दिक्कत होने लगी है.
दरअसल, हाल में संपन्न हुए चुनाव के बाद मालदीव के नए राष्ट्रपति बने मोहम्मद मोइज्जू ने मालदीव में मौजूद भारतीय सेना की एक टुकड़ी के भारत लौटने की बात कही है. उन्होंने कहा कि उनकी जीत इस बात का साफ संकेत है कि मालदीव की जनता मुल्क में भारतीय सैनिकों को नहीं देखना चाहती है. इसलिए अब मोइज्जू चाहते हैं कि भारतीय सेना वापस लौटे.
मालदीव में क्यों है भारतीय सेना?
मालदीव हमेशा ही भारत का मित्र देश रहा है, जिसकी मदद के लिए भारत सरकार हमेशा ही तत्पर रही है. इसी के तहत भारत सरकार ने पहले 2013 और फिर 2020 में मालदीव को दो डोर्नियर प्लेन समेत दो हेलीकॉप्टर्स दिए थे. इनको संचालित करने के लिए मालदीव में भारतीय सेना के करीब 75 जवान तैनात हैं. बता दें कि इन विमानों और हेलीकॉप्टर्स की मदद से मालदीव के अलग-अलग द्वीपों में घायलों तक मदद पहुंचाई जाती है. अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर मोलदीव के मददगार रहे यही भारतीय सेना के जवान नए राष्ट्रपति मोइज्जू को क्यों चुभ रहे हैं?
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आखिर क्यों मोइज्जू ने कह दी इतनी बड़ी बात
चुनावों के बाद नए राष्ट्रपति बने मोहम्मद मोइज्जू को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये चीन के काफी बड़े समर्थक रहे हैं. अब जब मालदीव में उनकी सरकार बन गई है तो चीन मोइज्जू का फायदा उठाकर वहां अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में संभावनाएं हैे कि मोइज्जू चीन को खुश करने के लिए ही खुद को भारत विरोधी पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा एक खास बात यह भी है कि हाल ही में चीन के साथ मालदीव फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन किया है, जो कि भारत के लिहाज से एक खतरा भी है.
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चीन की नई चाल
चीन की नजर मालदीव पर इसलिए भी है क्योंकि इसके जरिए वो हिंद महासागर में अपना दखल बढ़ाना चाहता है. इसी नीति के तहत ही चीन की एक कंपनी ने साल 2016 में मालदीव का एक द्वीप 50 साल के लिए 40 लाख डॉलर की कीमत में लीज पर लिया था. इतना ही नहीं, इसी प्लानिंग के तहत श्रीलंका को चीन ने फंसाया था. नतीजा ये हुआ कि चीन के अर्थव्य्वस्था ही चरमर गई. श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बाद अब चीन भारत को घेरने की अपनी नीति के चलते ही मालदीव पर अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास कर रहा है, हालांकि इसके परिणाम श्रीलंका की तरह ही मालदीव के लिए भी दुखदाई हो सकते हैं.
-भारत एक्सप्रेस