
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि सरकार समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक नया ढांचा लाएगी, जो विशेष रूप से अंडमान और लक्षद्वीप जैसे द्वीप समूहों की अनलॉक की गई क्षमता पर फोकस करेगा. उन्होंने यह बात 2025 के केंद्रीय बजट में अंडमान और लक्षद्वीप के समुद्री क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजनाओं की घोषणा करते हुए कही.
सीतारमण ने यह भी कहा कि भारत के द्वीप क्षेत्र अत्यधिक समुद्री संसाधनों से संपन्न हैं और इन क्षेत्रों की क्षमता को सही तरीके से इस्तेमाल कर आर्थिक विकास और समुद्री सुरक्षा के लिहाज से बड़ा योगदान दिया जा सकता है. सरकार इस क्षेत्र में नौवहन, मछली पालन, पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें शुरू करेगी, ताकि अंडमान और लक्षद्वीप के द्वीपों की समृद्धि में वृद्धि हो.
वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए ढांचे में अंडमान और लक्षद्वीप के समुद्री व्यापार और परिवहन के लिए समुद्री जहाजों और संचार व्यवस्था में सुधार किए जाएंगे. इसके साथ ही मछली पालन और समुद्री कृषि को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं बनाई जाएंगी, जिससे इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे. उन्होंने यह भी बताया कि सरकार इन द्वीपों के लिए सतत पर्यटन और इको-टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम लाएगी, जिससे पर्यटकों के आकर्षण के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
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सीतारमण ने यह भी कहा कि समुद्री क्षेत्र के विकास से समुद्री सुरक्षा के लिहाज से भी इन द्वीपों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और नौसेना और तटरक्षक बल के साथ मिलकर इस क्षेत्र को और अधिक सुरक्षित बनाया जाएगा.
यह पहल भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि अंडमान और लक्षद्वीप समुद्र से जुड़ी भारत की संपत्ति हैं, जो समुद्री व्यापार, संसाधन और पर्यटन में विकास के विशाल अवसर प्रदान करती हैं. इसके साथ ही यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संरक्षण के दृष्टिकोण से भी बहुत अहम है. इस नए ढांचे की शुरुआत से अंडमान और लक्षद्वीप जैसे द्वीप क्षेत्रों में न केवल आर्थिक प्रगति होगी, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति और वैश्विक समुद्री व्यापार में भी एक नई ताकत जुड़ेगी.
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