
भारत ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दे दी है, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जापान के बीच एक संयुक्त परियोजना होगी. ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने रविवार को इस योजना का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि मिशन को हाल ही में तीन दिन पहले केंद्रीय सरकार से मंजूरी मिली थी. यह मिशन चंद्रमा की सतह पर और भी गहरी जानकारी जुटाने का उद्देश्य रखता है. चंद्रयान-5 मिशन, चंद्रयान-4 के बाद लॉन्च होगा, जो 2027 में चंद्रमा से नमूने एकत्र करेगा.
चंद्रयान-5 का रॉवर होगा भारी और प्रभावशाली
वी. नारायणन ने यह भी बताया कि चंद्रयान-5 का रॉवर चंद्रयान-3 के मुकाबले 10 गुना भारी होगा. चंद्रयान-3 में जो ‘प्रज्ञा’ रॉवर था, वह 25 किलो का था, जबकि चंद्रयान-5 का रॉवर इसे कई गुणा वजन में बढ़ा हुआ होगा. यह चंद्रयान-5 मिशन को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगा.
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 की सफलता
चंद्रयान मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह का अध्ययन करना है. चंद्रयान-1 को 2008 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था, जिसने चंद्रमा का रासायनिक, खनिज और फोटो-भौगोलिक मानचित्रण किया. इसके बाद चंद्रयान-2 (2019) मिशन ने 98% सफलता हासिल की, हालांकि मिशन के अंतिम चरण में केवल 2% हिस्से को पूरा नहीं किया जा सका. फिर भी, चंद्रयान-2 का उच्च-रिजोल्यूशन कैमरा अभी भी चंद्रमा की सैकड़ों तस्वीरें भेज रहा है.
चंद्रयान-3 की सफलता: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग
चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुसरण करते हुए, ISRO की चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की क्षमता को सिद्ध करने में सफल रहा. 23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की, जिससे भारत दुनिया का पांचवां देश बन गया, जिसने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है. इस सफलता के साथ भारत ने यह इतिहास रचा है कि वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला पहला देश बना.
चंद्रयान-5 मिशन के महत्व पर चर्चा
चंद्रयान-5 के जरिए ISRO चंद्रमा के और भी गहरे रहस्यों का पता लगाएगा. यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, खासकर जापान के साथ साझेदारी में. आने वाले वर्षों में चंद्रयान-5 के परिणाम अंतरिक्ष अन्वेषण और विज्ञान में एक नई दिशा निर्धारित करेंगे.
-भारत एक्सप्रेस
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