सांकेतिक तस्वीर.
जनवरी और नवंबर 2024 के बीच भारत में प्राइवेट इक्विटी (PE) गतिविधि ने 1,022 सौदों (Deal) में 30.89 अरब डॉलर हो गया, जो मूल्य में 22.7 प्रतिशत की और सौदों की संख्या में 18.4 प्रतिशत की वृद्धि है, जबकि 2023 में इसी अवधि के दौरान 863 सौदों में 25.17 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी.
इस अवधि के दौरान बड़े सौदों में वाल्टन स्ट्रीट इंडिया इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स 1.5 अरब डॉलर और किरानाकार्ट टेक्नोलॉजीज 1.35 अरब डॉलर शामिल हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, 2024 में सौदेबाजी में स्थिरता देखी गई, जबकि उद्योग ने निकासी के लिए सार्वजनिक बाजारों का उपयोग करने में प्रगति की.
गजा कैपिटल (Gaja Capital) के प्रबंध भागीदार गोपाल जैन ने कहा, “2024 वह वर्ष है जिसमें भारतीय प्राइवेट इक्विटी उद्योग के लिए IPO से निकासी मुख्यधारा बन गई.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक बाजारों के माध्यम से निकासी कम हिस्सेदारी तक सीमित नहीं थी, बल्कि नियंत्रण पदों तक विस्तारित थी.
देश में प्राइवेट इक्विटी के लिए अच्छा संकेत
इन्वेस्टकॉर्प (Investcorp) के इंडिया इन्वेस्टमेंट बिजनेस के प्रमुख गौरव शर्मा ने निवेशकों के विश्वास के लिए निकासी के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “यह भारत में प्राइवेट इक्विटी के लिए एक बहुत अच्छा संकेत है क्योंकि जब एलपी (सीमित भागीदार) भारत में प्राइवेट इक्विटी निवेश पर विचार कर रहे होते हैं तो निकासी हमेशा उनके लिए चिंता का विषय रही है और 2024 में निकासी की रिकॉर्ड संख्या देश में एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में PE के लिए बहुत अच्छी है.”
भारतीय प्राइवेट इक्विटी में बदलाव हो रहा
भारतीय प्राइवेट इक्विटी में बदलाव हो रहा है क्योंकि घरेलू पूंजी अधिक गति प्राप्त करने लगी है, जो उद्योग के लिए एक नए युग का संकेत है. जैन ने कहा, “प्राइवेट इक्विटी अब इस बारे में नहीं है कि विदेशी निवेशक भारत को कैसे देखते हैं. तेजी से, यह एक भारतीय उत्पाद है और प्राइवेट इक्विटी के माध्यम से निवेश की जा रही पूंजी भारतीय पूंजी है.”
अमेरिका का प्रभाव पड़ता है
स्थानीय पूंजी (Local Capital) के बावजूद, वैश्विक व्यापक आर्थिक स्थितियां इस क्षेत्र को प्रभावित करना जारी रखती हैं. Ernst & Young (EY) के भागीदार विवेक सोनी ने कहा, “यदि आपके पास विदेशी फंड हैं, तो भू-राजनीति, अमेरिका में क्या होता है, इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है क्योंकि भारत में निवेश की जा रही अधिकांश पूंजी वहीं से आ रही है.” फंडिंग विंटर, खास तौर पर लेट-स्टेज स्टार्टअप्स के लिए, बनी हुई है.
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-भारत एक्सप्रेस
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