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‘मैं सबसे कम उम्र में MLA बना था’, MP पप्पू यादव बोले— मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा नहीं…मेरा सब्जेक्ट है सिर्फ ह्यूमैनिटी

पप्पू यादव ने बिहार में एक सशक्त और साहसी राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है, जो न केवल संसद में बल्कि सड़क पर भी सक्रिय रहते हैं. उन्होंने अपनी चर्चा में राजनीति, समाज और मानवता के विभिन्न पहलुओं को उठाया.

Pappu yadav bihar

बिहार के राजनीतिज्ञ पप्पू यादव, जो पूर्णिया से निर्दलीय सांसद हैं.

Naye Bharat Ki Baat Delhi Ke Saath Mega Conclave: राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क द्वारा आयोजित ‘नए भारत की बात-दिल्ली के साथ’ मेगा कॉन्क्लेव में देश की दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की. इस मौके पर बिहार के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी अपने विचार रखे और अपनी राजनीतिक यात्रा के बारे में चर्चा की.

‘नए भारत की बात-दिल्ली के साथ’ कॉन्क्लेव में पहुंचे पप्पू यादव ने कहा- “राजनेता या बाबा मेरा सब्‍जेक्‍ट नहीं है. मेरा राजनीति में कोई व्यक्तिगत उद्देश्य नहीं है. मेरा केवल एक उद्देश्य है, वह है- मानवता.”

पप्पू यादव का राजनीतिक दृष्टिकोण

पप्पू यादव ने कहा-

बिहार की जनता ने मुझे 7 बार निर्दलीय चुनाव जिताया. दुनिया में कोई दोबारा निर्दलीय सांसद नहीं बना, मैं 7 बार निर्दलीय सांसद बना. सांसद हमें आम आदमी ने बनाया,​ जिसे मैं भगवान के रूप में देखता हूं. उसका जो रिस्पेक्ट है मेरे भीतर, मैं उसकी खुशियों से उसको देखता हूं.

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका राजनीति में आना सत्ता या चमक-दमक के लिए नहीं है, बल्कि समाज की असल समस्याओं को समझने और हल करने के लिए है. उन्होंने कहा, “मेरी (सियासी) शुरूआत 1984 में कॉलेज के छात्र संघ चुनाव से हुई, तब से लेकर आज तक मैं संघर्षरत रहा हूं.”

पप्पू यादव ने यह भी दावा किया कि वे दुनिया में सबसे कम उम्र के विधायक बने, और बिहार की जनता ने उन्हें सात बार निर्दलीय सांसद के रूप में चुना है. उन्होंने यह जोर देकर कहा कि यह सफलता उनके लिए नहीं, बल्कि जनता की सेवा के लिए थी.

‘आज भी देश में बुनियादी सुविधाओं की कमी’

पप्पू यादव ने देश में सत्ता और राजनीति में मौजूद समस्याओं का भी खुलासा किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज भी देश में 140 करोड़ लोग हैं, लेकिन उनके पास बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है. उन्होंने कहा, “आजादी के 75 साल बाद भी 84 करोड़ लोग, केवल 5 किलो चावल पर निर्भर हैं,” उनका यह बयान देश के गरीबी और वितरण व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है.

यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तरी भारत में किसान आंदोलन के दौरान 1400 किसानों ने एक जगह आत्महत्या की. 7600 किसानों ने विदर्भ में, बुंदेलखंड में आत्महत्या किया है.

पूंजीवादी लोग टैक्स की चोरी करते हैं- सांसद

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि देश के पूंजीवादी लोग टैक्स की चोरी करते हैं, और सामान्य लोग सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं. पप्पू यादव ने इन समस्याओं पर विचार करते हुए यह भी कहा कि आज़ादी के इतने साल बाद भी कोई भी काम बिना बेइमानी के नहीं हो सकता. उन्होंने आम आदमी के संघर्ष की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और कहा कि वह जनता के मुद्दों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहेंगे.

लोगों के लिए मानवता और धर्म का संदेश

पप्पू यादव ने अपने संबोधन में धर्म और मानवता का महत्व भी बताया. उन्होंने महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास का उदाहरण देते हुए कहा कि इन महापुरुषों ने अपने लेखन से दुनिया को एकता और प्रेम का संदेश दिया. उन्होंने कहा, “हम जो सनातन धर्म के अनुयायी हैं, हम सभी वसुधैव कुटुंबकम को मानते हैं और सर्वधर्म समभाव में विश्वास करते हैं.” इस संदेश से पप्पू यादव ने यह स्पष्ट किया कि उनके लिए धर्म और आस्था केवल सांस्कृतिक प्रतीक नहीं हैं, बल्कि ये समाज में एकता और भाईचारे के प्रतीक हैं.

राजनीति और समाज में बदलाव की जरूरत

पप्पू यादव ने यह भी बताया कि समाज में बदलाव लाने के लिए हमें सही दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने खासतौर पर बिहार और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं का जिक्र किया और कहा कि इन क्षेत्रों में अवसरों की कमी और शिक्षा का अभाव मुख्य कारण हैं. उन्होंने कहा कि अगर लोग सही दिशा में काम करें, तो बिहार और अन्य राज्य भी तरक्की कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में आने के लिए केवल सत्ता का लालच नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए.

भारत एक्सप्रेस के ‘नए भारत की बात-दिल्ली के साथ’ मेगा कॉन्क्लेव में पप्पू यादव ने न केवल अपनी राजनीतिक यात्रा का जिक्र किया, बल्कि उन्होंने समाज में व्याप्त कई मुद्दों पर खुलकर बात की. उन्होंने राजनीति में आने के अपने उद्देश्य को स्पष्ट किया और कहा कि हमारा एकमात्र उद्देश्य मानवता की सेवा करना है.

उन्होंने भारतीय समाज की समस्याओं पर चर्चा की और सरकार से इन मुद्दों का समाधान ढूंढने की अपील की. पप्पू यादव का यह संबोधन न केवल उनकी राजनीतिक सोच को सामने लाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि उनके लिए समाज की सेवा ही सबसे महत्वपूर्ण है.

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