
अनुराग कश्यप
Anurag Kashyap: अनंत महादेव की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘फुले’ की रिलीज पर लगी रोक को लेकर फिल्म निदेशक अनुराग कश्यप ने नाराजगी जताई है. यह नाराजगी उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करते हुए यह नाराजगी जताई है. इसी बीच उन्होंने एक जाति विशेष को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए टिप्पणी की थी. जिसके लिए अब सोशल मीडिया पर उनकी कथित टिप्पणी के खिलाफ अब कानूनी कार्रवाई की मांग की जा रही है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील उज्ज्वल गौड़ ने दिल्ली के तिलक मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराकर कानूनी कार्रवाई की मांग की है.
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि अनुराग कश्यप द्वारा दिए गए इस बयान से न केवल कई लोगों की भावनाएं आहत हुई है, बल्कि हमारे समाज में सम्मान और गरिमा के मूल्यों को भी ठेस पहुचा है. शिकायत में यह भी कहा गया है कि कश्यप का यह बयान वैमनस्य फैलाने और सोशल मीडिया के माध्यम से नफरत फैलाने के उद्देश्य से किया गया लगता है. इस प्रकार के भड़काऊ भाषण हमारे जैसे बहुलतावादी समाज में गंभीर दुष्परिणाम ला सकता है. यह भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक दंडनीय अपराध है.
सामाजिक वैमनस्य फैलाने का आरोप
शिकायतकर्ता ने अनुराग कश्यप के खिलाफ धारा 194 ( धर्म व जाति के आधार पर वैमनस्य फैलाना), धारा 195 ( राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे करना), धारा 354, धारा 356 और धारा 357 के तहत कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है. बता दें कि अनुराग कश्यप के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट के एक वकील ने भी मुंबई पुलिस में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है. दरअसल अनंत महादेवन की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘फुले’ को मिल रही आलोचनाओं से परेशान अनुराग कश्यप ने ब्राह्मण समुदाय पर निशाना साधा.
उन्होंने अपनी बात रखने के लिए एक पोस्ट किया जिसे पढ़कर लोग भड़क उठे. उसी पोस्ट पर किसी शख्स को जवाब देते हुए अनुराग कश्यप ने ब्राह्मण पर मूतने की बात कह दी, जिसे लेकर डायरेक्टर कानूनी पचड़े में फंसते नजर आ रहे है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर निदेशक अनुराग कश्यप ने एक लंबा नोट शेयर करते हुए कहा, कोई भी कार्य या भाषण आपकी बेटी, परिवार या दोस्तों के लायक नहीं है.
‘फुले’ फिल्म की कहानी
अनुराग कश्यप ने अपने नोट में लिखा कि यह मेरी माफी है, मेरी पोस्ट के लिए नही, बल्कि उस एक पंक्ति के लिए जिसे संदर्भ से बाहर निकाल दिया गया और जो नफरत फैला रही हैं. कोई भी काम या भाषण इस लायक नहीं है कि आपकी बेटी, परिवार, दोस्त और सहकर्मी को संस्कार के सरगनाओं से बलात्कार और मौत की धमकियां मिलें, इसलिए जो कहा गया है उसे वापस नहीं लिया जा सकता है और मैं इसे वापस नहीं लूंगा, लेकिन अगर आप किसी को गाली देना चाहते हैं तो मुझे ही दें. मेरे परिवार ने न तो कुछ कहा है और न ही वे कभी बोलते है.
यह फिल्म समाज सुधारक ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले की जीवन पर आधारित है. उन्होंने दलितों और महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने अथक प्रयास किए. इनकी शिक्षा पर जोर दिया. इस फिल्म में सेंसर बोर्ड ने कई बदलाव करने को कहे, इस बात से ही अनुराग नाराज नजर आए.
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-भारत एक्सप्रेस
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