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कौन हैं उषा मेहता, जिनकी जिंदगी से प्रेरित फिल्म में नजर आएंगी सारा अली खान

Ae Watan Mere Watan Trailer: 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म ‘ऐ वतन मेरे वतन’ 21 मार्च को अमेजॉन प्राइम पर रिलीज़ होने वाली है. फिल्म में सारा अली खान लीड रोल में हैं.

उषा मेहता और ‘ऐ वतन मेरे वतन’ फिल्म का पोस्टर.

सारा अली खान (Sara Ali Khan) के लीड रोल वाली एक फिल्म इसी महीने रिलीज होने वाली है, जिसमें वह गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता (Usha Mehta) के किरदार में नजर आएंगी. इसका नाम ‘ऐ वतन मेरे वतन’ है. बीते 2 मार्च को इस फिल्म का ट्रेलर यूट्यूब समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जारी किया गया.

भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) की पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म उस दौर के एक महत्वपूर्ण अध्याय का वर्णन करती है, जो स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता के जीवन से प्रभावित है.

2 मिनट 53 सेकेंड के इस ट्रेलर में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के घटनाक्रमों को दिखाया गया है, जहां सारा अली खान रेडियो के माध्यम से क्रांति लाने की बात करती हैं. वह इस बात की वकालत करती हैं कि भारत को ब्रिटिश हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है और वह खुद को चलाने में अकेले ही सक्षम है.

इन दिनों ज्वलंत राजनीतिक मुद्दों पर तमाम फिल्में आ रही हैं. इन फिल्मों की कड़ी में निर्देशक कन्नन अय्यर ‘ऐ वतन मेरे वतन’ फिल्म के साथ दर्शकों से रूबरू होंगे.

साइमन कमीशन के खिलाफ मार्च

उषा को ‘कांग्रेस रेडियो’ का गठन करने वालों में एक माना जाता है, जिसे ‘सीक्रेट कांग्रेस रेडियो’ (Secret Congress Radio) भी कहा जाता था, यह एक भूमिगत रेडियो स्टेशन था, जिसने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कुछ महीनों तक काम किया था.

उषा मेहता का जन्म आधुनिक गुजरात में सूरत के पास सरस नामक एक गांव 25 मार्च 1920 को हुआ था, तब यह इलाका ब्रिटिश इंडिया के तहत बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा था.

वह जब पांच साल की थीं, तब उन्होंने पहली बार महात्मा गांधी को अहमदाबाद में उनके आश्रम की यात्रा के दौरान देखा था. इसके कुछ समय बाद गांधी ने उनके गांव के पास एक शिविर में आए तो उषा ने उसमें भाग लिया था. छोटी सी उम्र में ही वह गांधी जी की विचारधारा से प्रभावित हो गई थीं.

इसके बाद जब वह 8 साल की हुईं तो उन्होंने साइमन कमीशन (Simon Commission) के खिलाफ एक विरोध मार्च में भाग लिया था और ‘साइमन गो बैक’ का नारा भी लगाया था. ये बात 1928 की है. उनके अलावा अन्य बच्चे ब्रिटिश राज के खिलाफ धरना दिया करते थे.

ऐसे ही एक विरोध मार्च के दौरान पुलिसकर्मियों ने बच्चों पर हमला किया और भारतीय ध्वज ले जा रही एक लड़की ध्वज सहित नीचे गिर जाती है.

ऐसा ही एक सीन फिल्म के ट्रेलर में नजर आता है.

उषा के पिता जज थे

ब्रिटिश राज में उनके पिता एक जज थे. फिल्म के ट्रेलर में उषा का किरदार निभा रहीं सारा के पिता उनकी इन गतिविधियों से खुश नजर नहीं आते हैं.

स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर वह अपने पिता को समझाते हुए कहती हैं, ‘अंग्रेजों ने हमसे सोचने-समझने की शक्ति भी छीन ली है और इसलिए आप कहते हैं कि अंग्रेज नहीं तो कौन? क्यों हम करोड़ों भारतीय हैं, हम चलाएंगे अपना देश… उखाड़ फेकेंगे, उन सबको जिनको लगता है कि वो भारत चला रहे हैं.’

1930 में पिता के रिटायर होने के बाद साल 1932 में उषा जब 12 साल की थीं, तब उनका परिवार तत्कालीन बॉम्बे में शिफ्ट हो गया था. यहां आने के बाद उनका स्वतंत्रता आंदोलन में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेना और आसान हो गया था.

गांधी की विचारधारा से प्रभावित

गांधीजी से प्रभावित होकर उषा मेहता बड़ी हुईं और उनकी अनुयायियों में से एक बन गईं. वह तमाम तरह की विलासिताओं से दूर रहीं. गांधीवादी जीवनशैली अपनाई और सिर्फ खादी के कपड़े ही पहने.

उषा की प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गुजरात के खेड़ा और भरूच में हुई और आगे की पढ़ाई बॉम्बे में हुई. 1939 में वह दर्शनशास्त्र में फर्स्ट डिवीजन के साथ ग्रेजुएट हुई थीं. हालांकि भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए 1942 में उन्होंने पढ़ाई से अपना नाता तोड़ दिया. 22 साल की उम्र से वह स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गई थीं.

भारत छोड़ो आंदोलन में रेडियो की भूमिका

महात्मा गांधी ने 9 अगस्त 1942 से भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था और 14 अगस्त 1942 को उषा तथा उनके कुछ सहयोगियों ने सीक्रेट कांग्रेस रेडियो, जो कि एक गुप्त रेडियो स्टेशन था, को शुरू किया था. 27 अगस्त को इसका प्रसारण हुआ था. रेडियो पर प्रसारित पहले शब्द उषा मेहता के थे.

ट्रेलर की बात करें तो इसमें एक कलाकार सवाल उठाता है, ‘पर्चों से करेंगे अंग्रेजों के झूठ का मुकाबला?’ इस पर सारा कहती हैं, ‘झूठ का नशा सिर्फ सच की गुट्टी से तोड़ा जाता है.’ तो उनका साथी कलाकार पूछता है, ‘कैसे?’, तब सारा कहती हैं, ‘हम खोलेंगे अपना रेडियो स्टेशन’.

फिर रेडियो पर सारा की आवाज गूंजती है, ‘ये है देश का रेडियो… हिंदुस्तान में कहीं से, कहीं पे हिंदुस्तान में’.

बहरहाल सीक्रेट कांग्रेस रेडियो ने केवल तीन महीने तक काम किया, लेकिन इसने भारत की ब्रिटिश-नियंत्रित सरकार द्वारा प्रतिबंधित बिना सेंसर की गईं खबरों और अन्य सूचनाओं को प्रसारित करके आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.

1998 में भारत सरकार ने उन्हें उषा मेहता को उनके योगदान के लिए देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. साल 2000 में 80 साल की उम्र में उषा का निधन हो गया था.

सारा के अलावा और कौन है फिल्म में

सारा अली खान के अलावा फिल्म में सचिन खेड़ेकर, अभय वर्मा, स्पर्श श्रीवास्तव, एलेक्स ओ’नेल और आनंद तिवारी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. वहीं, इमरान हाशमी अतिथि भूमिका में हैं.

धर्माटिक एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन के तहत फिल्म का निर्माण करण जौहर के अलावा अपूर्व मेहता और सोमेन मिश्रा द्वारा किया गया है. निर्देशक कन्नन अय्यर ने दाराब फारूकी के साथ मिलकर फिल्म की पटकथा लिखी है. ​हिंदी के अलावा यह फिल्म तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड भाषाओं के साथ 21 मार्च को ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजॉन प्राइम पर रिलीज हो रही है.

-भारत एक्सप्रेस

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