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उदयनिधि के बाद प्रकाश राज के बिगड़े बोल, कहा- सनातन धर्म को मिटाया जाए, हिंदी-हिंदू पर पहले भी उगल चुके हैं जहर

Prakash Raj on Sanatana: प्रकाश राज ने कलबुर्गी में एक कार्यक्रम में सनातन धर्म के खिलाफ जमकर बोला- उन्होने कहा कि, “जो लोग सनातन धर्म और हिंदुत्व को कायम रखने पर आक्रामक रूप से बोलते हैं, वे हिंदू नहीं हैं.”

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प्रकाश राज (फोटो फाइल)

Controversy on Sanatan Dharma: सनातन धर्म के खिलाफ लगातार विवादित बयान देने का सिलसिला थम नहीं रहा है. तमिलनाडु के मंत्री और सीएम स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के विवादित बयान के बाद अब फिल्म अभिनेता प्रकाश राज (Prakash Raj) ने सनातन धर्म का मजाक बनाया है. उन्होंने फिर उदयनिधि के बयान को रिपीट करते हुए कहा कि सनातन धर्म डेंगू की तरह ही है और इसका खात्मा होना जरुरी है. प्रकाश राज इससे पहले भी हिंदी-हिंदू पर जहर उगल चुके हैं, एक बार अभिनेता ने सनातन का तनातन कहकर मजाक उड़ाया था. प्रकाश राज यहीं नहीं रूके, उन्होंने कहा कि जो लोग सनातन धर्म को कायम रखने पर आक्रामक तरीके से बोलते हैं, वे हिंदू नहीं हैं.

इसके अलावा प्रकाश राज ने कहा कि 8 साल के बच्चे को धर्म से जोड़ना ही सनातन धर्म है. उन्होंने एक कर्नाटक में एक मुस्लिम कंडक्टर उदाहरण भी दिया, जिसमें एक महिला मुस्लिम कंडक्टर से उसकी टोपी उतारने को कहती है.

‘सनातन धर्म को डेंगू बुखार जैसा..इसे मिटाया जाए’

प्रकाश राज ने कलबुर्गी में एक कार्यक्रम में सनातन धर्म के खिलाफ जमकर बोला- उन्होने कहा कि, “जो लोग सनातन धर्म और हिंदुत्व को कायम रखने पर आक्रामक रूप से बोलते हैं, वे हिंदू नहीं हैं. वे खुद को हिंदुत्व के ठेकेदार के रूप में पेश करते हैं. हमें उन्हें बताना होगा कि वे अपने राजनीतिक गलत इरादों को आगे बढ़ाने के लिए बोल रहे हैं. लोगों को इसे समझना चाहिए”. इसके बाद उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को डेंगू बुखार जैसा बताया और कहा कि इस मिटाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि धार्मिक जुलूस में 18 साल के बच्चे तलवार लेकर चल रहे हैं. मुझे यह देखकर सच में दुख होता है. यह चौंकाने वाली बात कि किस तरह से उनका ब्रेनवॉश किया गया है. इन बच्चों को अपने रोजगार और सपनों के बारे में सोचना चाहिए. क्या 8 साल के बच्चे को धर्म जोड़ना सनातन नहीं है. यह डेंगू बुखार जैसा है इसका खात्मा जरुरी है.

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मुस्लिम कंडक्टर का उदाहरण

प्रकाश राज ने एक मुस्लिम कंडक्टर का उदाहरण देते हुए कहा कि, “छुआछूत की मानसिकता अभी भी है. यह सिर्फ इसलिए दूर नहीं हुआ है क्योंकि वहां एक नियम है और यह कानून के खिलाफ है. कर्नाटक में एक मुस्लिम बस कंडक्टर था जिसने अपनी धार्मिक टोपी पहन रखी थी. एक महिला ने उससे इसे हटाने को कहा। ऐसे बोलने वाले और भी लोग होंगे। वहां आस-पास कौन से लोग थे जो ऐसा करते हुए देख रहे थे?

– भारत एक्सप्रेस

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