चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम (फाइल फोटो)
Chandrayaan-3: हाल ही में चंद्रयान-3 के अंतरिक्ष में सफल लैंडिंग को लेकर पूरे देश में उत्सव मनाया गया था और ये सफलता भारत के लिए विज्ञान जगत में मील का पत्थर साबित हुई थी. तो वहीं अब खबर सामने आ रही है कि विज्ञानियों ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ चंद्रयान की लांचिंग कराई थी. हालांकि इसके लिए चार सेकेंड की देरी भी हुई थी. इसरो के मुताबिक अगर चार सेकेंड की देरी न की जाती तो चंद्रयान-3 अंतरिक्ष मलबे से टकराकर नष्ट हो सकता था. हालांकि चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन चुका है.
इसको लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा कि टकराव की आशंका से बचने के लिए यह देरी आवश्यक थी. इसरो के द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण में महज चार सेकंड की देरी से चंद्रयान-3 ने टकराव के खतरे के बिना चंद्रमा की यात्रा को बिना बाधा पूरा किया. इंडियन सिचुएशनल स्पेस अवेयरनेस रिपोर्ट (आइएसएसएआर) के मुताबिक चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को ले जाने वाले रॉकेट की लांचिंग में चार सेकंड की देरी टक्कर संबंधी आंकलन के आधार पर की गई. गौरतलब है कि चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लांच किया गया था और फिर 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के पास चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की साफ्ट लैंडिंग हुई थी.
अंतरिक्ष में इतना है मलबा
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार 60 से अधिक वर्षों की अंतरिक्ष गतिविधियों के कारण लगभग 56,450 मलबों को कक्षा में ट्रैक किया गया है, जिनमें से लगभग 28,160 अंतरिक्ष में हैं. यूएस स्पेस सर्विलांस नेटवर्क (यूएसएसएसएन) द्वारा इन्हें नियमित रूप से ट्रैक किया जाता है.
जानें क्या है चंद्रयान-4 की प्लानिंग
रिपोर्ट जारी करते हुए इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा है कि अंतरिक्ष में जागरूकता जरूरी है. इसी के साथ ही सोमनाथ ने चंद्रयान-4 को लेकर बताया कि अगले चंद्रयान मिशन यानी चंद्रयान-4 को लेकर कहा है कि इसे चंद्रयान की अगली कड़ी के रूप में विकसित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने घोषणा की है कि भारत 2040 में चंद्रमा पर उतरने की इरादा रखता है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा का निरंतर अन्वेषण आवश्यक है. वह आगे बोले कि चंद्रयान-4 इस दिशा में पहला कदम होगा. उन्होने कहा कि मिशन का लक्ष्य रखा गया है कि चंद्रमा पर एक यान को भेजना, नमूने एकत्र करना और फिर उनको पृथ्वी पर वापस लाना. वह आगे बोले कि जब भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए तैयार होगा, तो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रयोग करने और सुरक्षित लौटने के लिए चंद्रयान से चंद्रमा पर भेजा जाएगा.
जानें क्या कहा गया है रिपोर्ट में
सुरक्षित और टिकाऊ अंतरिक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए इसरो ने क्षुद्रग्रहों के साथ-साथ अंतरिक्ष मलबे जैसे पर्यावरणीय खतरों का आंकलन करते हुए आइएसएसएआर-2023 रिपोर्ट जारी की है. इसरो सिस्टम फार सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस आपरेशंस मैनेजमेंट द्वारा संकलित की गई थी. 2023 का डाटा अंतरिक्ष में बढ़ते मलबे का संकेत देता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि चंद्रयान-3 की लांचिंग से पहले वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में कचरा दिखाई दिया था, जो कि किसी अन्य सेटेलाइट का टुकड़ा था. रिपोर्ट की मानें तो अगर पहले से तय समय के अनुसार चंद्रयान-3 की लांचिंग हो जाती तो चंद्रयान-3 अपने मिशन तक नहीं पहुंच सकता था. तो वहीं रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चंद्रयान-3 से पहले PSLV-C55/TelEOS-2 की लांचिंग भी 22 अप्रैल 2023 को एक मिनट की देरी से की गई थी तो वहीं गत वर्ष ही 30 जुलाई को PSLV-C56/DS-SAR की लांचिंग में भी एक मिनट की देरी की गई थी. ताकि दोनों रॉकेट किसी तरह के मलबे से न टकरा जाएं.
-भारत एक्सप्रेस
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