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Joshimath: जोशीमठ में जर्जर इमारतों को गिराना बड़ी चुनौती! अगले तीन दिनों तक बारिश की आशंका, 100 परिवारों को किया गया शिफ्ट

Joshimath: प्रशासन के लिए जर्जर इमारतों को गिराने की कोशिश में बारिश बड़ी चुनौती बन सकती है. एक तरफ यहां लगातार जमीन धंसने का डर है तो वहीं दूसरी तरफ बारिश होने का डर प्रशासन को सता रहा है.

Joshimath Rain

जोशीमठ में हालात खराब (फोटो ट्विटर)

Joshimath: उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात हद से ज्यादा खराब हो गए हैं. 700 से ज्यादा घरों की दीवारों में दरारें देखी जा रही हैं, कहीं भी जमीन अचानक धंस जा रही है, सड़कें टूट रही हैं और कई जगहों पर धरती में से पानी निकल रहा है. अभी तक जोशीमठ से सैंकड़ों लोगों का रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा चुका है. इसके अलावा 100 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा चुका है. वहीं कई लोग अभी भी जोशीमठ में फंसे हुए हैं. प्रशासन की तरफ से 86 घरों को असुरक्षित चिह्नित किया गया है. जिनको सरकार गिराने की तैयारी कर रही है. जोशीमठ प्रशासन ने कई जर्जर इमारतों को गिराने की प्लानिंग बनाई है.

हालांकि, प्रशासन की तैयारी के बीच भूस्खलन से गांधीनगर और पालिका मारवाड़ी में बने मकानों में दरारें नजर आने लगी हैं. अधिकारियों के मुताबिक, गांधीनगर में 134 और पालिका मारवाड़ी में 35 मकानों में दरारें आ गई हैं. वहीं, लोअर बाजार में 34, सिंहधार में 88, मनोहर बाग में 112, अपर बाजार में 40, सुनील गांव में 64, पारासरी में 55 और रविग्राम में 161 घर भी असुरक्षित जोन में आ गए हैं. बताया जा रहा है कि जोशीमठ में अब तक भूस्खलन से 723 घरों में दरारें आ चुकी हैं.

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जोशीमठ में बारिश बनेगी बड़ी चुनौती

प्रशासन के लिए जर्जर इमारतों को गिराने की कोशिश में बारिश बड़ी चुनौती बन सकती है. एक तरफ यहां लगातार जमीन धंसने का डर है तो वहीं दूसरी तरफ बारिश होने का डर प्रशासन को सता रहा है. दरअसल, आने वाले तीन दिनों में जोशीमठ में बारिश होने की आशंका जताई जा रही है. जोशीमठ में इस समय बारिश होने का से स्थानीय लोगों के लिए परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे में देखना होगा प्रशासन बारिश की चुनौती से निपटने के लिए कैसी रणनीति बनाएगा.

जोशीमठ को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित

बता दें कि सोमवार को जोशीमठ को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया था. इसी के साथ, सरकार का एक एक्सपर्ट पैनल भी जोशीमठ की स्थिति पर रिसर्च कर रहा है. पैनल ने पाया कि जोशीमठ के नीचे की जमीन को विस्थापित किया जा रहा है. पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा ने बताया कि जोशीमठ इस त्रासदी का अंतिम गवाह नहीं है क्योंकि आने वाले सालों में हिमालय के कई शहर और गांव ऐसी ही आपदा को झेलेंगे.

–   भारत एक्सप्रेस

 

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