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चुनावी साल में इलेक्टोरल बाॅन्ड बैन, जानें BJP के लिए कैसे झटका है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

Electoral Bond Supreme Court Judgement: चुनावी साल में सुप्रीम कोर्ट का इलेक्टोरल बाॅन्ड पर बैन बीजेपी के लिए झटका माना जा रहा है. विपक्ष चुनाव में इसे सबसे बड़ा सरकारी घोटाला बता सकता है.

Electoral Bond Supreme Court Judgement

जानें सुप्रीम कोर्ट का फैसला बीजेपी के लिए झटका क्यों?

Electoral Bond Supreme Court Judgement: चुनावी साल में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बड़ा झटका दिया है. अब राजनीतिक पार्टियां इलेक्टोरल बाॅन्ड के जरिए चंदा नहीं ले सकेगी. आज 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बाॅन्ड को असंवैधानिक करार दिया. इलेक्टोरल बाॅन्ड एक प्रकार का प्रोमिसरी नोट है इसका उपयोग 2 हजार रुपए से अधिक का चंदा देने के लिए किया जाता है. सरकार इस योजना को 2017 में लाई थी. हालांकि इस दौरान सरकार का कई दलों ने विरोध भी किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आज के फैसले में ये भी कहा कि इस योजना को लाॅन्च करने के लिए सरकार ने 5 संविधान संशोधन किए. मामले में सीपीएम पार्टी और एडीआर ने 2019 में याचिका दाखिल की थी. एडीआर ने याचिका में इस पर बैन की मांग की थी. मामले की 4 साल तक कोर्ट में सुनवाई हुई. नवंबर 2023 में संवैधनिक बेंच ने इसकी सुनवाई की. बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाल, जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. कोर्ट ने इस मामले में 3 दिन तक सुनवाई की और 2 नवंबर 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद कोर्ट ने आज 15 फरवरी 2024 को फैसला सुना दिया.

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जानें बीजेपी के लिए कैसे झटका है?

1. एडीआर की मानें तो 2019 के चुनावी साल में बीजेपी को 2 हजार 555 करोड़ रुपए का चंदा मिला. इस साल कांग्रेस को 317 करोड़ रुपए मिले.

2. एडीआर की रिपोर्ट की मानें तो बीजेपी को कुल चंदे में से 52 प्रतिशत चंदा इलेक्टोरल बाॅन्ड के जरिए मिला है. जो कि सभी पार्टियों को मिले कुल चंदे के बराबर है.

3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब तक जिन लोगों ने इलेक्टोरल बाॅन्ड खरीदे हैं उनकी लिस्ट सार्वजनिक करें. चुनावी साल में लिस्ट सार्वजनिक होने से भाजपा विपक्ष के निशाने पर आ सकती है.

एडीआर की रिपोर्ट के आधार पर वकील प्रशांत भूषण ने इसे रिश्वत बताया. जानकारी के अनुसार भाजपा को 2017 से 2022 के दौरान 5 हजार 271 करोड़ रुपए का चंदा मिला. वहीं इसी अवधि में कांग्रेस को 952 करोड़, टीएमसी को 767 करोड़ और एनसीपी को 63 करोड़ रुपए मिले.

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