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दिल्ली-एनसीआर में लागू रहेगा ग्रेप-4, सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण पर जताई नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाते हुए ग्रेप-4 के तहत लगाए गए प्रतिबंध 2 दिसंबर तक लागू रखने का आदेश दिया. ट्रकों के प्रवेश को लेकर लापरवाही पर पुलिस और एमसीडी को फटकार लगाई, साथ ही अगली सुनवाई में सख्त कदम उठाने के संकेत दिए.

Supreme Court of India

सुप्रीम कोर्ट.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि दिल्ली एनसीआर में लागू ग्रेप 4 दो दिसंबर तक लागू रहेगा. 2 दिसंबर को कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर जताई नाराजगी. रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस तस्वीर में कहीं भी नहीं दिख रही है. ट्रकों को क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति थी, लेकिन वापस जाने का कोई रास्ता नहीं था.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हां, हमने पड़ोसी राज्यों को लिखा है कि उन ट्रकों को वापस जाने दें. हमें उन 13 में से अधिकांश ट्रकों का डेटा एमसीडी टोल बूथों से मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लेकिन वे 13 अकेले एमसीडी अधिकारी भी वहां थे और कोई पुलिस नहीं थी, वहां बाद में तैनाती की गई, प्रवेश क्षेत्र में कोई पुलिस नहीं थी.जस्टिस एएस ओका ने कहा कि हमने पेश की गई पहली रिपोर्ट का अध्ययन कर लिया है.

पुलिस की ओर से शायद ही कुछ किया गया. एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि दिल्ली से जुड़े पड़ोसी राज्यों के चलते ऐसा हो रहा है. मामले की सुनवाई के दौरान कमीशन की ओर से पेश ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया की वो पुलिस आयुक्त, विशेष यातायात आयुक्त, अतिरिक्त मुख्य सचिव, परिवहन आयुक्त, एमसीडी आयुक्त को नोटिस जारी कर दो दिसंबर तक स्पष्टीकरण और जवाब मांगा है.

जस्टिस ओका ने कहा कि आपको पराली जलाने को लेकर डेटा कैसे मिल रहा है? 24/7 आपको पराली जलाने का डेटा मिलना चाहिए. हर कोई यह जानने के लिए पर्याप्त रूप से शुरुआत कर चुका है कि डेटा निश्चित समय में एकत्र किया जाता है ताकि वे तब नष्ट न हों. इसलिए अंतिम समाधान तो ढूंढना ही होगा. एएसजी ने कहा कि इसरो प्रोटोकॉल पर काम कर रहा है. एक उपग्रह सफल नहीं हुआ, लेकिन इसरो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ में से एक है, वे इस पर काम कर रहे हैं, वे प्रोटोकॉल में हमारी मदद करेंगे. जस्टिस ओका ने कहा कि आंकड़ों से साफ है कि दोनों राज्य बहुत धीमी गति से किसानों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के प्रवेश से लेकर पटाखों और एनसीआर राज्य की प्रतिक्रियाओं तक, हम सभी पर गौर करेंगे. सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि 2018 से हर साल इस वजह से दो महीने के लिए स्कूल बंद रहते हैं. कोर्ट ने कहा कि एक रिपोर्ट के मुताबिक शाम 4 बजे के बाद पराली जलाने की सलाह दी जा रही है. अगर ऐसा है तो यह गंभीर है. राज्य सरकार को इसे बचना चाहिए.

-भारत एक्सप्रेस



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