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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने वाली याचिकाओं पर 2 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई

नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हम 2019 से इस दिन का इंतजार करते आए हैं क्योकिं हमें लगता है कि हमारा केस मजबूत है.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Delhi: जम्मू कश्मीर से 370 को हटाने को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. वहीं इसे लेकर आज सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ का कहना है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 2 अगस्त से शुरू होगी. CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा- हम अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ याचिकाओं को 2 अगस्त को सूचीबद्ध कर सकते हैं. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम इन याचिकाओं पर 2 अगस्त से सुबह 10:30 बजे से सुनवाई करेंगे. हम 370 पर सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर हर दिन सुनवाई करेंगे.”

 

तीन साल बाद हुई आज सुनवाई

बता दें कि आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट ने 3 साल बाद आज सुनवाई हो रही है. इससे पहले 2020 में इस मामले में सुनवाई हुई थी. वहीं आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सोमवार को केंद्र ने इस मामले पर नया एफिडेविट दाखिल किया था. केंद्र सरकार ने राज्य से आर्टिकल 370 को खत्म करने को लेकर कहा था कि जम्मू-कश्मीर 3 दशकों तक आतंकवाद झेलता रहा है. राज्य से आर्टिकल 370 हटाना इसे खत्म करने का एक ही रास्ता था.

सुप्रीम कोर्ट में 4 साल से है मामला

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था. इसके बाद से ही इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई. अक्टूबर 2020 से संविधान पीठ ही इस मामले की सुनवाई कर रही है. बता दें कि इन याचिकाओं पर सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच करेगी. इन जजों में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस संजीव खन्ना भी होंगे.

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2019 से इस दिन का इंतजार- उमर अब्दुल्ला

नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि हम 2019 से इस दिन का इंतजार करते आए हैं क्योकिं हमें लगता है कि हमारा केस मजबूत है. हम सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद भी रखेंगे और गुजारिश करेंगे कि इसमें जल्द से जल्द सुनवाई हो. हम न्याय की उम्मीद करते हैं, जो नाइंसाफी जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ 5 अगस्त 2019 को हुई, जो धोखा हुआ, कानून का धज्जियां उड़ाई गई उसका जवाब सुप्रीम कोर्ट से मिले.

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