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India-China Relation: मई का महीना शुरू हो चुका है और यह वही महीना है जब साल 2020 में भारत के ऊपर दोहरे संकट मंडरा रहे थे. एक तरफ कोरोना से हालात खराब थे तो वहीं दूसरी तरफ चीन इसी महीन में भारत की जमीन को हड़पने की कोशिश में लगा हुआ था. उसकी नीति हमेशा से ही भारत की जमीन को हड़पने की रहती है. 2020 मई की शुरुआत में ही पैंगोंग झील के पास चीनी सैनिक हरकतबाजी कर रहे थे. तब भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया.
इसके बाद ही दोनों देशों का विवाद खुलकर सामने आया. इस घटना को अब तीन साल बीत चुके हैं और अभी तक दोनों देशों के बीच रिश्ते पटरी नहीं लौटे हैं.
घटना के चार साल बाद भी LAC हालात सामान्य नहीं है, मगर टकराव वाली स्थिति भी नहीं है मगर ऐसा भी नहीं कह सकते की सब कुछ ठीक है.क्योंकि अभी भी LAC पर चीनी सेना के हमारे बॉर्डर इलाके में घुसने की खबरें सामने आती रहती हैं. हालांकि भारतीय जवान वहां मुस्तैदी से तैनात हैं, जिसकी वजह से चीन अपनी हरकतों में कामयाब नहीं हो पाता है.
साल 2020 में चीनी सैनिकों ने पहले तो पैंगोंग झील के पास कब्जा करने की कोशिश की, यहां पर भारत के सैनिकों के साथ झड़प हुई. इसके अगले महीने गलवान वैली में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय जवानों की खूनी झड़प हुई. इसके बाद चीन और भारत के संबंध छह दशक में सबसे नीचे चले गए.
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वहीं चीन की हरकतों की वजह से यह सवाल बार-बार उठता है कि क्या चीन से सीमा विवाद कभी समाप्त हो पाएगा. इसका जवाब अभी तक किसी को नहीं पता. क्योंकि हर बार वार्ता फेल हो जाती है. अभी 23 अप्रैल को भारत-चीन के बीच मिलिट्री लेवल टॉक (सैन्य स्तर की बातचीत) हुई थी मगर कोई नतीजा नहीं निकला. चीन अभी यह दिखाने की कोशिश करता है कि लद्दाख में स्थिति स्थिर है और हमको सामान्य रिश्ते बहाल करना चाहिए. चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू कहते हैं कि एलएसी पर सबकुछ स्थिर है.
गलवान वैली, गैंगोंग लेक, गोगरा (PP-17A) PP-15, में सैनिकों के पीछे हटने के बावजूद अभी भारत-चीन के 60,000 से ज्यादा सैनिक और आधुनिक हथियार लद्दाख में तैनात हैं. दौलत बेग, ओल्डी सेक्टर में देपसांग और डेमचोक सेक्टर में चारडिंग नाला जंक्शन में भी टेंशन है. हालांकि इन मसलों को हल करने की बातचीत हो रही है.
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