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बिहार के ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में गिरफ्तार और लालू प्रसाद यादव के करीबी व व्यवसायी अमित कात्याल को अदालत से झटका लगा है. अदालत ने अमित कात्याल की अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ाने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा अदालत ने ईडी को भी नसीहत दी. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि “ईडी कानून से बंधी हुई है, उसके निर्णय भी उसी तरह के होंगे.”
अदालत ने पीएमएलए 2002 की धारा 50 के तहत निजी अस्पताल के डॉक्टरों का बयान दर्ज करने पर भी नाराजगी जाहिर की. अदालत ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में नागरिकों के पास अधिकार है, जबकि राज्य के पास कुछ कर्तव्य हैं और इस मौलिक संबंध को एक सत्तावादी तर्क को लागू करने के लिए उल्टा नहीं किया जा सकता है.
अदालत ने कहा कि मजबूत नेता, कानून और एजेंसियां आम तौर पर उन्हीं नागरिकों को परेशान करती है, जिनकी रक्षा करने की कसम खाकर सत्ता में आती है. अदालत ने यह भी कहा कि अवैध प्रक्रियाओं के अधीन होने के खिलाफ नागरिकों के अधिकार ईडी द्वारा कानून की पहुच से पूरी तरह से ऊपर है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते 9 अप्रैल को अमित कात्याल की गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में सर्जरी हुई थी. इस दरम्यान कात्याल के वकीलों ने ईडी द्वारा मेदांता अस्पताल और अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों का बयान दर्ज करने पर कड़ी आपत्ति जताई. ये डॉक्टर 5 फरवरी 2024 को अंतरिम जमानत मिलने के बाद कात्याल का इलाज कर रहे थे. उनके वकील द्वारा यह तर्क दिया गया कि यह चिकित्सा उपचार के गोपनीयता में घुस-पैठ करने जैसा है, जो कि आरोपी के मौलिक अधिकार है.
– भारत एक्सप्रेस
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