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‘नरेश अग्रवाल के राजनीतिक 50 वर्ष’ पुस्तक का विमोचन 13 जनवरी को, गाजियाबाद के IMS इंजीनियरिंग कॉलेज पहुंचने का आमंत्रण

Naresh Chandra Agrawal: नरेश चंद्र अग्रवाल ऐसे भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो सपा से भाजपा तक, यूपी की हर बड़ी पार्टी में रह चुके हैं. वह सपा (एसपी) के राज्यसभा सांसद रहे, मंत्री रहे और राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे.

Naresh Chandra Agrawal,

पूर्व मंत्री व सांसद नरेश अग्रवाल

Book On Naresh Chandra Agrawal: यूपी में सियासत के जाने-पहचाने चेहरे, पूर्व मंत्री व सांसद नरेश अग्रवाल के सियासी सफर पर एक पुस्तक लिखी गई है. इस पुस्तक में उनकी 50 साल की राजनीतिक यात्रा को रेखां​कित किया गया है. इसलिए इस पुस्तक का नाम भी ‘नरेश अग्रवाल के राजनीतिक 50 वर्ष’ है.

इस पुस्तक के रचनाकार देवकी नंदन मिश्र हैं और इसे प्रभात प्रकाशन ने पब्लिश किया है. अब इस पुस्तक का विमोचन होने वाला है. यूपी सरकार के आबकारी एवं मद्य निषेध विभाग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल की ओर से लोगों को पुस्तक विमोचन समारोह में पहुंचने के लिए आमंत्रण दिया जा रहा है.

पुस्तक का विमोचन भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान के हाथों होगा. विमोचन का समय 13 जनवरी शनिवार की सुबह 11 बजे रहेगा. कार्यक्रम के उपरांत जलपान की व्यवस्था रहेगी.

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नरेश अग्रवाल की जीवनी: एक नजर

नरेश अग्रवाल का जन्म 1 अक्टूबर 1951 को हुआ था, वे मूलतः हरदोई जिले के निवासी हैं. 1972 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने के बाद वह राजनीति में आए. 1974 में युवा कांग्रेस हरदोई के अध्यक्ष बने. उनके पिता हरदोई के विधायक थे, इसलिए वह बचपन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए.

1980 में नरेश अग्रवाल पहली बार विधायक बने, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह अपनी पारंपरिक सीट हरदोई से सात बार सांसद और दो बार राज्यसभा सदस्य चुने गये. वह चार कैबिनेट मंत्री रहे. अब उन्होंने अपनी राजनीति के 50 साल पूरे कर लिए हैं.

नरेश अग्रवाल जब ऊर्जा मंत्री थे, तब उन्होंने घर-घर बिजली पहुंचाने का अभियान शुरू किया था. 90 के दशक में उन्होंने कांग्रेस तोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाई और बीजेपी को समर्थन देकर कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया. वहीं, वह पहली बार यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. इस कवायद को ‘नरेश फॉर्मूला’ के नाम से जाना गया.

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