Bharat Express

दिल्ली में ‘पृथ्वी सूक्त…’ का विमोचन, RSS प्रमुख भागवत बोले- धरती माता के प्रति रखें भक्ति, प्रेम, समर्पण और त्याग की भावना

मोहन भागवत ने आज बुधवार 11 अक्टूबर 2023 को राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में संबोधन दिया. उन्‍होंने दिल्ली में प्रज्ञा प्रवाह में पृथ्वी के प्रति भक्ति, प्रेम, समर्पण और त्याग की भावना रखने का आवाह्न किया।

mohan bhagwat news

दिल्ली में रंगा हरि द्वारा लिखित पृथ्वी सूक्त: धरती माता के प्रति एक श्रद्धांजलि पुस्तक का विमोचन.

New Delhi: आज राष्‍ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने भाषण दिया. उन्‍होंने अपनी स्‍पीच में कहा कि हमें पृथ्वी के प्रति भक्ति, प्रेम, समर्पण और त्याग की भावना रखनी चाहिए और जीवन को तमस से ज्योति की तरफ ले जाना चाहिए।

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने यह बात नई दिल्ली के डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में रंगा हरि द्वारा लिखित एवं किताबवाले प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक पृथ्वी सूक्त: धरती माता के प्रति एक श्रद्धांजलि के विमोचन के अवसर पर कही। इस पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन प्रज्ञा प्रवाह, दिल्ली प्रांत एवं किताबवाले प्रकाशन द्वारा किया गया।

समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि हमें विविधता में भी अपनी मूल एकता को ध्यान में रखते हुए परस्पर व्यवहार का उत्तम आदर्श दुनिया के सामने रखना चाहिए। पुस्तक के लेखक रंगा हरि के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि रंगा हरी सदैव कर्मशील रहे हैं। उनके सानिध्य मात्र से हम समृद्ध होते हैं।

पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत का सबसे बड़ा आदर्श एकात्मता है। एकात्माता के ज्ञान के बाद परमात्मा और जीवात्मा का अंतर खत्म हो जाता है। इस पुस्तक के लेखक रंगा हरि एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं, जिन्होंने अपना जीवन साहित्य और समाज सेवा के लिए समर्पित किया।

रंगा हरि का जन्म 12 मई, 1930 को कोच्चि में हुआ। अप्रैल 1951 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर, संघ की विभिन्न भूमिकाओं में रहते हुए उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और अटूट समर्पण का परिचय दिया। रंगा हरि एक बहुआयामी लेखक हैं, जिन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं।

“पृथ्वी सूक्त: धरती माता के प्रति एक श्रद्धांजलि” अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त में मौजूद ज्ञान का अध्ययन प्रस्तुत करती है। अंग्रेजी एवं हिंदी में लिखी गई यह किताब पृथ्वी के साथ मनुष्य के संबंधों पर प्रकाश डालती है, और ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है जो मानवतावाद को आध्यात्मिकता के साथ जोड़ती है।

यह पुस्तक देशभक्ति, राष्ट्रवाद, मानवतावाद और सार्वभौमिकता से अन्तर्निहित होकर भौतिकवाद और आध्यात्मिकता के बीच एक सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाती है। रंगा हरि की कुशल व्याख्या न केवल समयानुकूल है बल्कि विश्व स्तर पर भी जरूरी मुद्दों को उठाती है।

इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में साहित्यकार, शिक्षाविद, लेखक और समाज के कई गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए।

— भारत एक्सप्रेस

Bharat Express Live

Also Read