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पर्यटन क्षेत्र में बढ़ावे से नॉर्थ ईस्ट का होगा विकास

Jammu and Kashmir: पॉलिसी रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष डॉ. अकबरुद्दीन अहमद ने कहा- एक बार एक विद्वान ने मुझसे कहा था कि वह अपने छात्रों को रोजगार सृजित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं न कि नौकरी खोजने के लिए.

नॉर्थ ईस्ट में टूरिज्म से होगा विकास

North East: आज के समय में टूरिज्म विकास के लिए काफी जरूरी हो गया है. पर्यटन एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जिससे आने वाले सालों में नॉर्थ ईस्ट फलेगा-फूलेगा और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाकर लक्ष्यों को हासिल करेगा. ढाका में पॉलिसी रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष डॉ. अकबरुद्दीन अहमद ने शिलांग कॉलेज में नॉर्थ ईस्ट इंडिया कॉमर्स एंड मैनेजमेंट एसोसिएशन के 6 वें वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने लाइब्रेरी में संडे मॉनिटर के साथ बात करते हुए आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई.

अहमद ने पर्यटन क्षेत्र की क्षमता के बारे में बात करते हुए उन्होंने युवाओं के बीच उद्यमशीलता की भावना की आवश्यकता पर बल दिया. अहमद ने आगे कहा- एक बार एक विपुल विद्वान ने मुझसे कहा था कि वह अपने छात्रों को रोजगार सृजित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं न कि नौकरी खोजने के लिए, दायरे से निकल कर सोचें. शिलॉन्ग कॉलेज में भी मेरा यही संदेश था.”

पर्यटन क्षेत्र देश की छवि और सांस्कृति को बढ़ावा देता है

अहमद के शोध केंद्र द्वारा प्रकाशित और दारुल एहसान विश्वविद्यालय में डिप्टी रजिस्ट्रार जोबायर हुसैन का एक पेपर बताता है, “वर्तमान में, विश्व पर्यटन उद्योग एक प्रतिस्पर्धी और आशाजनक क्षेत्र के रूप में दिखाई दिया. ऐसा नहीं है कि पर्यटन क्षेत्र न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित करता है बल्कि पर्यटन देश की छवि और सांस्कृतिक विविधीकरण भी बनाता है”.

उत्तर पूर्व के प्रत्येक राज्य की एक अनूठी संस्कृति, परंपरा और इतिहास है, इस क्षेत्र के पास दुनिया को दिखाने के लिए बहुत कुछ है और यह एक अच्छी तरह से तैयार की गई नीति द्वारा समर्थित पर्यटन के समुचित प्रचार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. संबंधित राज्य सरकारों को ऐसा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. मेघालय ने पहले ही एक पर्यटन नीति का मसौदा तैयार कर लिया है जो विशिष्ट पर्यटन की वकालत करता है जो पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ होगा. अहमद के अनुसार, सरकारों को काफी हद तक इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहिए और इस प्रयास में ग्रामीण समुदायों को शामिल करना चाहिए.

– भारत एक्सप्रेस

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