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ओडिशा के टीचर ने की दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती, लाखों में है इसकी कीमत, जानें किस नाम से है पहचान

Odisha teacher Miyazaki: मियाजाकी आम की खासियत यह है कि एक बार जो इसका स्वाद चख लेता है वह लंबे समय तक इसके स्वाद का दीवाना होता है. स्वाद के अलावा यह लोगों की बिमारियां भी दूर करने में मददगार है.

Miyazaki Mango

मियाज़ाकी मैंगो

Miyazaki Mango: फलों की दुनिया में ज्यादातर लोग आम को पसंद करते हैं. ऐसे तो आम की कई अलग अलग तरह की प्रजातियां हैं, लेकिन ओडिशा के कालाहांडी जिले के कंदुलगुडा गांव में एक शिक्षक ने अनोखे किस्म के आम की खेती करने में सफलता हासिल की है. इस आम को ‘मियाज़ाकी’ नाम से जाना है. खाने में यह बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होता है, जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 2.5 से 3 लाख रुपये प्रति किलोग्राम है.

मियाजाकी (Miyazaki Mango) किस्म के इस महंगे आम को ओडिशा के टीचर  ने जैविक तरीके से उगाने में सफलता हासिल की है. इसकी खेती करने वाले कालाहांडी जिले में उद्यानिकी सहायक निदेशक टंकाधर कालो हैं. इन्होंने बताया कि इसके पौधों को 12 साल पहले लगाया गया था. इन आमों का रंग अन्य आम से अलग है. विदेशों में ये आम 2.5 लाख प्रति किलो के हिसाब से बिकता है.

स्वाद के साथ स्वास्थय में भी रामबाण

मियाजाकी आम की खासियत यह है कि एक बार जो इसका स्वाद चख लेता है वह लंबे समय तक इसके स्वाद का दीवाना होता है. स्वाद के अलावा यह लोगों की बिमारियां भी दूर करने में मददगार है. बताया जाता है कि यह खास किस्म का आम कैंसर के खतरे को कम करता है, इसमें जिंक, कैल्शियम, विटामिन सी, ई, ए और के पायी जाती हैं. जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है. इसके साथ ही इसका मर्मियों में सेवन करने से पाचन शक्ति बेहतर होती है. इसलिए इसकी कीमत ग्लोबल मार्केट में 2.5 से 3 लाख रुपये किलो है.

कई राज्यों में हो चुकी है खेती

ऐसा नहीं है मियाजाकी आम की खेती पहली बार ओडिशा में हो रही हो. इससे पहले भी कई जगहों पर इसकी खेती की जा चुकी है. करीब एक साल पहले ओडिशा के ही एक किसान सत्य नारायण ने बरगढ़ जिले में दुनिया के सबसे मंहगे आम मियाजाकी को उगाने में सफलता हासिल की थी. उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया था. इसके अलावा इस आम को बिहार में भी उगाया जा चुका है. वहीं त्रिपुरा में किसानों ने इसकी खेत कर रखी है. बताया जाता है कि यह आम सबसे पहले जापान में उगाया गया था इसके बाद धीरे-धीरे यह दुनिया भर में देशों तक पहुंच गया.

– भारत एक्सप्रेस

 

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