Bharat Express

Supreme Court की नाराजगी के बाद Patanjali Ayurved ने ‘भ्रामक विज्ञापन’ मामले में बिना शर्त माफी मांगी

Patanjali tenders unconditional apology: सुप्रीम कोर्ट पतंजलि आयुर्वेद द्वारा जारी एक विज्ञापन से नाराज था, क्योंकि उसने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह ‘दवाओं के औषधीय प्रभावों का दावा करने वाले या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान नहीं देगी.

बाबा रामदेव.

कथित भ्रामक विज्ञापन मामले में जारी एक नोटिस के जवाब में बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली है. नोटिस में उसे यह भी बताने के लिए कहा गया है कि 21 नवंबर 2023 को शीर्ष अदालत को दिए गए शपथ का कथित तौर पर उल्लंघन करने के लिए उसके खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें पतंजलि आयुर्वेद पर कथित तौर पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और एलोपैथी की आलोचना करने वाले बयान देने का आरोप लगाया गया है.

सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बीते 19 मार्च को कंपनी के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को शीर्ष अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा था.

अदालत पतंजलि आयुर्वेद द्वारा 4 दिसंबर 2023 को जारी किए गए एक विज्ञापन से नाराज थी, क्योंकि उसने 21 नवंबर 2023 को अदालत को आश्वासन दिया था कि वह ‘दवाओं के औषधीय प्रभावों (Medicinal Efficacy) का दावा करने वाले या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान नहीं देगी’.

माफीनामे में आचार्य बालकृष्ण ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में दायर हलफनामे में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उन्हें ‘अफसोस है कि जिस विज्ञापन में केवल सामान्य बयान शामिल थे, उसमें अनजाने में आपत्तिजनक वाक्य शामिल हो गए’.

उन्होंने कहा, ‘यह वास्तविक था और कंपनी के मीडिया विभाग द्वारा रूटीन कोर्स में जोड़ा गया था’. उन्होंने कहा, ‘कंपनी के मीडिया विभाग के कर्मचारियों को 21/11/2023 के आदेश का संज्ञान नहीं था.’ बालकृष्ण ने अदालत को यह आश्वासन दिया कि वह ‘यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी न किए जाएं’.

आचार्य बालकृष्ण ने कहा, ‘उनकी एकमात्र तलाश प्रत्येक नागरिक के लिए बेहतर और स्वस्थ जीवन तथा सदियों पुराने पारंपरिक दृष्टिकोण के उपयोग के माध्यम से जीवनशैली से संबंधित चिकित्सा जटिलताओं के लिए समग्र, साक्ष्य आधारित समाधान प्रदान करना और आयुर्वेद तथा योग के सदियों पुराने पारंपरिक दृष्टिकोण के उपयोग से देश के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे पर बोझ को कम करना है.’

हलफनामे में कहा गया है, ‘वास्तव में विचार आयुर्वेदिक उत्पादों को बढ़ावा देना था, जो वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा समर्थित पुराने साहित्य/सामग्री पर आधारित हैं.’

-भारत एक्सप्रेस

Bharat Express Live

Also Read