
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में महाकुंभ को राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बताया और कहा कि इस आयोजन से देश को एकता और पर्यावरण संरक्षण जैसी महत्वपूर्ण प्रेरणाएं मिली हैं. उनके इस संबोधन को भाजपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने ऐतिहासिक और असाधारण बताया.
सुधांशु त्रिवेदी ने महाकुंभ को लेकर पीएम मोदी के संबोधन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “भारत की महान सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराएं, साथ ही हमारी प्राचीन खगोलीय गणनाएं और वैज्ञानिक उत्कृष्टता, महाकुंभ जैसे आयोजनों के माध्यम से दर्शाई जाती हैं. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज महाकुंभ पर लोकसभा में अपना संबोधन दिया, तो यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण था.”
उन्होंने कहा कि महाकुंभ न केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्य भी प्रस्तुत करता है. इस आयोजन ने दुनिया को भारत की विशालता और एकता का अहसास कराया. हालांकि, त्रिवेदी ने यह भी चिंता जताई कि कुछ लोग हमेशा भारतीय संस्कृति के सकारात्मक पहलुओं को नकारते रहे हैं.
महाकुंभ का प्रभाव और वैश्विक सहभागिता
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में महाकुंभ को ‘अमृत’ के समान बताया. उन्होंने कहा कि इस आयोजन में 66 करोड़ लोग शामिल हुए, 100 से अधिक देशों के नागरिकों ने भाग लिया, और 73 देशों के राजनयिकों ने भी इसे सम्मानित किया. यह महाकुंभ इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया था कि विभिन्न जातियों, क्षेत्रों, समुदायों और भाषाओं के लोग एकत्रित हुए.
सुधांशु त्रिवेदी ने इस आयोजन की भव्यता की सराहना करते हुए कहा, “यह सिर्फ 144 साल बाद होने वाला कुंभ नहीं था, बल्कि यह 450 साल में इलाहाबाद की जगह प्रयागराज में आयोजित होने वाला पहला महाकुंभ था.” उन्होंने इसे ऐतिहासिक आयोजन बताते हुए कहा कि महाकुंभ के उद्घाटन के साथ प्रधानमंत्री ने समाज की अखंडता पर भी जोर दिया. “जैसे गंगा अविरल बहती है, वैसे ही हमारा समाज भी अखंड रहना चाहिए,” यह बयान प्रधानमंत्री मोदी का था.
नकारात्मकता पर प्रतिक्रिया
सुधांशु त्रिवेदी ने यह भी कहा कि इस अद्भुत और ऐतिहासिक आयोजन में कुछ लोग केवल नकारात्मकता ही देख पा रहे थे. उन्होंने विशेष रूप से ‘औरंगजेब फैन क्लब’ के सदस्य का जिक्र किया और कहा, “इन लोगों ने कभी भी भारत और भारतीय संस्कृति की महानता को स्वीकार नहीं किया. ऐसे लोग केवल नकारात्मकता की ओर आकर्षित होते हैं और जो अच्छाई है, उसे नजरअंदाज करते हैं.”
महाकुंभ का सशक्त संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के सशक्त संदेश को पुनः रेखांकित करते हुए कहा, “महाकुंभ का संदेश यह है कि भारत एकजुट रहेगा.” यह शब्द प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहे, जो भारतीय समाज की एकता और अखंडता को स्थापित करने का एक मज़बूत संकेत था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महाकुंभ पर लोकसभा में दिया गया संबोधन न केवल भारतीय संस्कृति की गहरी धारा को प्रस्तुत करता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की एकता और विविधता को भी प्रदर्शित करता है. महाकुंभ के आयोजन ने न सिर्फ देशवासियों को एकजुट किया, बल्कि विश्वभर में भारत की ताकत और परंपराओं का संदेश भी भेजा.
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-भारत एक्सप्रेस
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