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Rajasthan CM: राजस्थान में बीजेपी ने अपने सीएम फेस का ऐलान कर दिया है. भजनलाल शर्मा प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होने वाले हैं. इसके साथ ही बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश सीएम बनाकर अपना नया राजनीतिक हित साधा है. इतना ही नहीं बीजेपी ने ब्राह्मण जाति के अलावा क्षत्रिय और दलित को भी साधने की कोशिश की है. क्योकि पार्टी ने जो दो डिप्टी सीएम बनाए हैं वो उन्हीं जाति से आते हैं. अगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने जाति के हिसाब से एक नया दांव खेला है. इससे पहले ज्यादार राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना था कि पार्टी किसी महिला या दलित चेहरे को सीएम घोषित करेगी, लेकिन पार्टी ने ब्राह्मण चेहरे को सीएम घोषित करके सभी को सरप्राइज कर दिया है
अगर देखा जाए बीजेपी ने ब्राह्मणों को देश की राजनीति में फिर से उठा दिया है. इसके अलावा ब्राह्मण समाज में यह संदेश है कि बीजेपी उनकी ही पार्टी है. साथ ही पार्टी ने सपा, आरजेडी के बाद कांग्रेस को भी बड़ी टेंशन में डाल दिया है.
कांग्रेस अपने पुराने समय से ब्राह्मण, दलित और मुसलमानों पर वोट लेती आई है. वहीं ब्राह्मण तो उसके कोर वोटर्स माने जाते रहे हैं. हालांकि बीजेपी ने अब भजनलाल शर्मा को सीएम बनाकर ब्राह्मणों को साधने की अपनी कोशिश को और मजबूत कर दिया है. इससे पार्टी ने कांग्रेस को भी बड़ा झटका दे दिया है. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों को देखते हुए ब्राह्मण, यादव और दलित को साधने की कोशिश की है. बता दें कि पार्टी सपा और आरजेडी को बड़ा झटका पहले ही दे चुकी है. क्योंकि बीजेपी ने मध्यप्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाया है. ऐसा करके बीजेपी ने सपा के यादव वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए कदम बढ़ा दिया है. सपा और आरजेडी के यादव कोर वोटर्स माने जाते हैं.
अब जरा आंकड़ों के हिसाब से देखिए कि बीजेपी ने राजस्थान में ब्राह्मण चेहरे को ही सीएम क्यों बनाया और इससे उन्हें किया फायदा हो सकता है. दरअसल राजस्थान में ब्राह्मणों की जनसंख्या 7 से 12 प्रतिशत के करीब है. वहीं जाटों और राजपूतों की संख्या भी इतने के ही आसपास है. लेकिन चुनाव से पहले जब टिकट का बंटवारा हो रहा था तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ब्राह्मणों को टिकट देने में कंजूसी की थी. बीजेपी ने 20 ब्राह्मणों को टिकट दिया था तो वहीं कांग्रेस ने महज 16 ब्राह्मणों को टिकट दिया था. इस तरह बीजेपी ने ब्राह्मण को सीएम बनाकर ये संदेश दिया है कि पार्टी उन्हीं के साथ है.
अगर राजपूतों की बात की जाए तो बीजेपी ने 25 और कांग्रेस ने 17 को टिकट दिया था. इसके अलावा प्रदेश जाटों को दोनों ही पार्टियों की तरफ से ज्यादा टिकट दिए गए थे. कांग्रेस ने 36 जाटों को उम्मीदवार बनाया था तो वहीं बीजेपी ने 33 को प्रत्याशी बनाया था.
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