शाही मस्जिद के बाहर पुलिस फोर्स तैनात. (फोटो ANI)
संभल जिला अदालत के 19 नवंबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के कार्रवाई पर रोक लगा दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में ही रहेगी. उसे फिलहाल नही खोला जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की भी हिदायत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने को कहा है और कहा कि अब हाई कोर्ट के निदेश पर कोई कार्रवाई हो सकेगी. यह याचिका संभल की जामा मस्जिद प्रबंधन कमेटी की ओर से दायर की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है. यह भी कहा गया है कि सर्वे रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में पेश किया जाए. सुप्रीम कोर्ट यह भी आदेश दे कि इस तरह के धार्मिक विवादों में बिना दूसरे पक्ष को सुने सर्वे का आदेश न दिया जाए. संभल जिला अदालत ने 19 नवंबर को मुगलकालीन मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था.
याचिका में कहा गया है कि इस तरह के सर्वेक्षण, विशेष रूप से ऐतिहासिक पूजा स्थलों के सर्वेक्षण, साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ा सकते हैं और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने को कमजोर कर सकते है. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि उसी दिन सीनियर डिवीजन के सिविल जज ने मामले को सुना और मस्जिद समिति का पक्ष सुने बिना सर्वे के एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया.
हिंसा में हुई पांच लोगों की मौत
एडवोकेट कमिश्नर 19 नवंबर की शाम ही सर्वे के लिए पहुच गए. फिर 24 को सर्वे हुआ. जिस तेजी से सारी प्रक्रिया हुई, उससे लोगों में शक फैल गया और वे अपने घर से बाहर निकल गए. भीड़ के उग्र हो जाने के बाद पुलिस गोलीबारी हुई और पांच लोगों की मौत ही गई. याचिका में आगे कहा गया है कि शाही मस्जिद 16वीं सदी से वहां है. इतनी पुरानी धार्मिक इमारत के सर्वे का आदेश पूजास्थल अधिनियम और प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल कानून के खिलाफ है. अगर यह सर्वे जरूरी भी था, तो यह एक ही दिन में बिना दूसरे पक्ष को सुने नहीं दिया जाना चाहिए था.
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राज्य सरकार ने गठन किया है जांच आयोग
संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में गठित आयोग दो माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा. सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद व सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन को आयोग का सदस्य बनाया गया है. बता दें कि दो दिन के सर्वे करने के बाद रिपोर्ट तैयार कर ली गई है. कोर्ट ने रिपोर्ट देने के लिए कमिटी को 29 नवंबर तक का समय दिया था.
-भारत एक्सप्रेस
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