क्या वाकई पीरियड्स के बीच नहीं धोने चाहिए बाल? यहां एक्सपर्ट से जान लीजिए
By निहारिका गुप्ता
Sandeshkhali Incident Explained: पश्चिम बंगाल में कालिंदी नदी के किनारे पर बसा एक छोटा और संवेदनशील गांव संदेशखाली बीते डेढ़ महीने से लगातार सुर्खियों में है. यह गांव उत्तर 24 परगना जिले की सीमा में आता है. यहां पर सत्तारूढ पार्टी से जुडे प्रभावशाली लोगों पर महिलाओं का यौन शोषण और उनकी प्रताडना के आरोप लगे हैं. पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी, जो भाजपा से हैं, वे हाल ही में संदेशखाली पहुंचे. संदेशखाली में उन्हें ऐसी महिलाएं मिलीं, जिनके साथ कुछ बुरा हुआ था. पीड़िताओं की आपबीती के आधार पर अब भाजपा ने एक डाक्यूमेंट्री रिलीज की है.
एक्स (X) पर जारी की गई भाजपा की डाक्यूमेंट्री के साथ कैप्शन दिया गया- “एक ऐसा सच जो हमें चौंका देगा. एक ऐसा सच जो हमें पीड़ा पहुंचाएगा. एक ऐसा सच जो हमारी अंतरात्मा को झकझोर कर रख देगा..वो है संदेशखाली का सच, जिसे ममता बनर्जी छिपाने की कोशिश कर रही हैं.“
संदेशखाली के अचानक से इतना हाइलाइट और सुर्खियों में आने की वजह महिलाओं पर हुए अत्याचार को उजागर करती खबरें हैं, जिनमें ये कहा जा रहा है कि काफी महिलाएं वहां शेख शाहजहां के उत्पीड़न की शिकार हुई हैं,जो अब सामने आकर और खुलकर बोल रही हैं. बीती 5 जनवरी को जब ईडी (ED) शाहजहां के घर पर छापामारी करने के लिए पहुंची थी, तब गुंडों की भीड ने ED टीम पर ही हमला कर दिया था.
अब संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां और उसके समर्थकों पर दुर्व्यवहार करने और जमीन कब्जा करने जैसे तरह-तरह आरोप लगाए हैं, ऐसे में देखना यह होगा कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है और पीडिताओं को न्याय मिलता है या नहीं?
मीडिया के समक्ष एक महिला ने कहा कि संदेशखाली में महिलाएं सुरक्षित नहीं रह सकतीं.अब हमें बाहर जाने में भी डर लगता है. एक और महिला ने सिसकियां लेते हुए कहा कि महिलाओं को टीएमसी कार्यालयों में बुलाया गया था और उनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया. वहीं, कई महिलाओं ने कहा कि यदि सरकारी योजनाओं और लाभों का फायदा कोई महिला लेना चाहे तो उसे यहां भ्रष्टाचारियों और दरिंदो का सामना भी करना पड़ेगा, जिससे वे उत्पीड़न का शिकार हो सकती हैं.
शाहजहाँ शेख़ पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ पार्टी TMC का स्थानीय नेता है, जिसे ममता बनर्जी के गुट का कद्दावर मुस्लिम चेहरा माना जाता है. शेख़ ने अपने चाचा की बदौलत राजनीति में एंट्री ली थी और अपनी धाक जमाते चला गया. रिपोर्ट्स की मानें तो शाहजहाँ शेख़ 2000 के दशक में सब्जी बेचने और कंडक्टर का काम किया करता था और आज देश में चर्चा का विषय बना हुआ है.
शाहजहाँ शेख़ के बारे में कहा जाता है कि उसने अपने कारोबार के लिए इलाके के सैकड़ों बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी दिया.उन्हें मोबाइल और बाइक दिलाई. बेटी की शादी पर गरीब परिवारों की आर्थिक मदद की. अंतिम संस्कार के लिए भी कई परिवारों के साथ खड़ा रहा. उसका वर्चस्व इतना हो गया कि स्थानीय लोग अपने पारिवारिक विवाद सुलझाने के लिए भी शाहजहां के पास जाने लगे. लोग उसके पास जमीन-जायदाद से जुड़े मामलों को सुलझाने के लिए भी जाते हैं और अपने ऐसे ही कामों के चलते वह इलाके में मसीहा के रूप में देखा जाने लगा.
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एक हैरत की बात यह है कि आज ममता बनर्जी की पार्टी का नामचीन चेहरा होने से पहले शाहजहाँ शेख़ कभी सीपीएम में था. 2011 में राज्य की सत्ता से सीपीएम बेदखल हो गई और वहां ममता बनर्जी की अगुवाई में टीएमसी की सरकार बनी. सत्ता के बदलने के साथ ही शाहजहां ने भी पलटी मार दी और 2013 में वो टीएमसी के साथ चला गया.
अब संदेशखाली की महिलाओं ने शाहजहां और उसके समर्थकों पर अत्याचार, यौन उत्पीड़न करने और जमीन कब्जाने जैसे आरोप लगाए हैं, देखना यह होगा कि वो दोषी पाए जाते हैं या नहीं, यदि दोषी सिद्ध होते हैं तो उन पर क्या कार्रवाई होगी, और महिलाओं के हित में क्या कदम उठाए जाते हैं.
— भारत एक्सप्रेस
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