
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद पुनर्विचार याचिका दायर की गई है. याचिका में पिछले साल 2 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई हैं. यह पुनर्विचार याचिका याचिकाकर्ता खेम सिंह भाटी की ओर से दायर की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका की खारिज
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को लेकर इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले में कोई गलती नजर नही आती है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है. यह पुनर्विचार याचिका मैथ्यूज नेदुम्पारा और अन्य की ओर से दायर की गई थी. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में इसे असंवैधानिक करार दिया था. संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे.
अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुमपारा द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया था कि संविधान पीठ यह मानते हुए भी कि यह मुद्दा न्यायसंगत है, फिर भी इस पर ध्यान देने में असफल रही. याचिकाकर्ताओं ने किसी भी विशेष नुकसान का कोई दावा नही किया. ऐसे में उनकी याचिका पर फैसला नही लिया जाना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए तत्काल प्रभाव से इसपर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह स्कीम RTI का उल्लंघन है.
इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर उठाया सवाल
सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर सवाल उठाते हुए कुल चार याचिकाएं दाखिल की गई थी. यह याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की ओर से दायर की गई थी. वही पिछले साल 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टरल बॉन्ड की एवज में राजनैतिक दलों को कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से दी गई कथित रिश्वत की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका खारिज की थी. यह याचिका एनजीओ कॉमन कॉज, खेम सिंह भाटी व अन्य ने दायर की गई थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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