

Supreme Court On Waqf Act Amendments: सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित वक्फ कानून को लेकर आज अहम सुनवाई की और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. कोर्ट में अब तक इस कानून के खिलाफ कुल 73 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं. आज पहले चरण में 10 याचिकाओं पर बहस हुई.
वक्फ बाय यूजर संपत्तियों पर तीखी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान CJI खन्ना ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वक्फ बाय यूजर संपत्तियों को मान्यता दी जाएगी या नहीं? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि सिर्फ रजिस्टर्ड संपत्तियां ही वक्फ मानी जाएंगी. इस पर CJI ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि “यदि इन संपत्तियों को डिनोटिफाई किया गया, तो यह गंभीर मसला बनेगा.”
उन्होंने कहा कि प्रिवी काउंसिल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक वक्फ बाय यूजर की संपत्तियों को मान्यता मिली है. सभी संपत्तियों को फर्जी नहीं कहा जा सकता.
कपिल सिब्बल ने कहा- यह ‘सरकारी टेकओवर’
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कानून को चुनौती देते हुए इसे पूरी तरह से ‘सरकारी टेकओवर’ करार दिया. उन्होंने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड के सदस्य सिर्फ मुस्लिम हो सकते थे, लेकिन अब हिंदू भी सदस्य हो सकते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है. उन्होंने ये भी कहा कि बिना वक्फ डीड के वक्फ नहीं बनाया जा सकेगा और अब मुस्लिमों को यह साबित करना होगा कि वे वक्फ बना सकते हैं.
सरकार बोली- कानून विचार-विमर्श से बना है
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि वक्फ संशोधन कानून को संसद में पूरी प्रक्रिया के बाद पास किया गया. इसके लिए जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) ने 38 बैठकें कीं और 92 लाख ज्ञापनों की जांच की गई. लोकसभा और राज्यसभा में कानून पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ यह 5 अप्रैल को लागू हुआ.
धार्मिक स्वतंत्रता बनाम सरकारी हस्तक्षेप
कपिल सिब्बल ने अदालत में यह सवाल भी उठाया कि अगर किसी को वक्फ बनाना है, तो क्या वह सरकार को यह प्रमाण देगा कि वह मुसलमान है और कितने समय से इस्लाम का पालन कर रहा है? उन्होंने इसे 20 करोड़ भारतीय मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और कहा कि यह कानून मुस्लिम उत्तराधिकार और पर्सनल लॉ में सरकार का हस्तक्षेप है.
CJI बोले- अनुच्छेद 26 सभी पर लागू होगा
सीजेआई खन्ना ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है और यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने हिंदुओं से जुड़े मामलों में भी कानून बनाया है, और मुस्लिमों के लिए भी कानून बनाना असंवैधानिक नहीं माना जा सकता.
CJI ने साफ किया कि यह सुनवाई का पहला दौर है. सभी याचिकाओं पर आज सुनवाई संभव नहीं है और दोहराव से बचा जाना चाहिए. आने वाले दिनों में इस मामले पर और गहन सुनवाई होगी.
अभी और सुनवाई की आवश्यकता: CJI
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि अभी सुनवाई की आवश्यकता है. लिहाजा आज की सुनवाई पूरी की जाती है. कल फिर कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा.
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