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The Lion of Punjab : हरि सिंह नलवा का जीवन और सम्पूर्ण वीरगाथा

इस आर्टिकल मैं आपको एक ऐसे वीर योद्धा के बारे में बताने जा रहा हूं जो सिर्फ नाम का ही सिंह नहीं था बल्कि उससे असली शेर भी डरा करते थे. 30 अप्रैल 1837 को जमरूद पर एक भयंकर आक्रमण हुआ, हरि सिंह उस समय बीमार चल रहे थे फिर भी उन्होंने युद्ध में भाग लिया.

Life and Heroic Story of Hari Singh Nalwa

हरि सिंह नलवा के जीवन और वीर गाथा

भारत के इतिहास में ऐसे कई वीर योद्धा हुए हैं जिनके सिर्फ नाम से ही दुश्मन कांप जाते थे. इनकी वीरगाथा हम सभी बचपन से ही सुनते पढ़ते आ रहे हैं। लेकिन कुछ वीर योद्धा ऐसे भी हैं, जिनके बारे में हमारे इतिहासकारों ने हम भारतवासियों को बताना जरूरी नहीं समझा. आज मैं आपको भारत के वीर सपूत हरि सिंह नलवा की वीरता की कहानी बताने जा रहा हूं.

हरि सिंह नलवा का बचपन
हरि सिंह नलवा का जन्म 1791 में संयुक्त पंजाब प्रांत के गुजरावाला में हुआ था. हरि सिंह के पिता का नाम गुरुदयाल सिंह और मां का नाम धर्मा कौर था. लेकिन हरिसिंह जब 7 वर्ष के थे तो उसके सर से पिता का साया उठ गया, पर कहते हैं ना दोस्तों होनहार वीर वान के होते चिकने पात हरि सिंह बचपन से ही अस्त्र-शस्त्र विद्या सीखने लगे थे. 10 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते पंजाब का ये शेर घुड़सवारी, मरसालर्ट, तलवार और भाला चलाने में निपुण हो गया था.

1881 में, ब्रिटिश अखबारों के इतिहास की तुलना में कुछ लोग सोचते है कि नेपोलियन एक महान सेनापति था. कुछ लोग मार्शल हिंडनबर्ग, लॉर्ड किचनर, जनरल करोबज़ी, या वेलिंगटन के ड्यूक आदि का उल्लेख कर सकते हैं और कुछ आगे जाकर कह सकते हैं, हलाकू खान, चंगेज खान, चंगेज़ खान, रिचर्ड या अलाउद्दीन, आदि. लेकिन मैं आपको बता दूं कि भारतवर्ष में सिक्खों के हरिसिंह नलवा नाम का एक सेनापति प्रबल हुआ. यदि वह अधिक समय तक जीवित रहता और उसके पास अंग्रेजों के स्रोत और तोपखाना होता, तो वह अधिकांश एशिया और यूरोप को जीत लेते.

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नलवा का हुआ शेर से सामना
दरअलस हरि सिंह के सेना में भर्ती होने के कुछ दिन बाद महाराजा रणजीत सिंह एक बार जंगल में शिकार के लिए गए, तो उनके साथ कुछ सैनिक और हरिसिंह भी थे. महाराजा रणजीत सिंह और हरि सिंह वहां से गुजर रहे थे. उस जगंल एक शेर अचानक महाराजा के घोड़े पर आ गया ओर महाराजा को अपना निशाना बनाने लगा. अपने राजा की रक्षा के लिए हरि सिंह ने शेर पर छलांग लगा दी और नंगे हाथ उसके जबड़े को काट दिए. तब से उन्हें “बाघमार” (शेर मारने वाला) और “नलवा” के रूप में जाना जाता है.

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