
राज्यसभा (फोटो संसद टीवी)

सोर्स: संसद टीवी लाइव, एएनआई और कोमल शर्मा (भारत एक्सप्रेस ब्यूरो).
Parliament Session: केंद्र सरकार द्वारा लाया गया वक्फ संशोधन विधेयक-2024 राज्यसभा में भी बहुमत (128/95) से पारित हो गया. भाजपा की अगुवाई में एनडीए सरकार के पास आवश्यक संख्याबल था, जिसके कारण विपक्ष सदन के पटल पर विधेयक को रोकने में नाकाम रहा.
संसद में केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने बताया कि अब सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 22 मेंबर होंगे. एक्स ऑफिशियल मेंबर को मिलाकर 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम नहीं होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जब बिल ड्राफ्ट हुआ था और आज जो बिल यहां पर है, उसमें काफी सारे चेंज गए गए हैं. जो लोग कहते हैं कि जेपीसी में हमारी बात नहीं सुनी गई, उन्हें बता दे रहा हूं कि विपक्ष के कहने पर कुछ संशोधन किए गए हैं.
‘वक्फ बोर्ड वैधानिक निकाय, यह धर्मनिरपेक्ष हो’
रिजिजू ने राज्यसभा में कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए. वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और वैधानिक निकाय में केवल मुसलमानों को ही क्यों शामिल किया जाना चाहिए? अगर हिंदू और मुसलमानों के बीच कोई विवाद है, तो उस विवाद को कैसे सुलझाया जाएगा?…वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के साथ भी विवाद हो सकते हैं…वैधानिक निकाय धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए और सभी धर्मों के लोगों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. फिर भी हमने इसमें गैर-मुस्लिमों की संख्या सीमित कर दी है. वक्फ बिल से मुसलमानों को हम नहीं डरा रहे, बल्कि विपक्षी पार्टियां डरा रही हैं.
राज्यसभा में देर रात तक चली चर्चा
राज्यसभा में करीब 12 घंटे तक विधेयक पर गहन चर्चा हुई. अंततः गुरुवार देर रात वोटिंग के बाद इसे मंजूरी मिल गई. सभापति जगदीप धनखड़ ने विधेयक के संशोधनों पर मतदान कराया. क्लॉज सिक्स में संशोधन के लिए विपक्षी सदस्यों की ओर से 11 प्रस्ताव पेश किए गए. ये सभी संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से वोटिंग में नकार दिए गए.
बीजद के फैसले ने बदला समीकरण
बीजू जनता दल (बीजद) ने पहले विधेयक का विरोध करने का संकेत दिया था, लेकिन बाद में पार्टी ने व्हिप जारी नहीं किया और सांसदों को स्वतंत्र रूप से मतदान करने दिया. इससे सरकार को अप्रत्याशित बढ़त मिली.
विपक्ष का जोर, लेकिन संख्या बल नहीं
राज्यसभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके सहित कई विपक्षी दलों ने बिल का विरोध किया, लेकिन आवश्यक संख्या बल के अभाव में वे इसे रोकने में नाकाम रहे.
विधेयक में क्या प्रमुख बदलाव किए गए?
- अब केवल पांच वर्षों तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाला ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकेगा.
- दान की जाने वाली संपत्ति पर विवाद की स्थिति में जांच के बाद ही अंतिम निर्णय होगा.
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है.
अब क्या होगा अगला कदम?
लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित होने के बाद विधेयक अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. इसके बाद यह कानून बन जाएगा और देशभर में लागू होगा.
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