Bharat Express

दिल्ली हाईकोर्ट ने 20 साल से जेल में बंद सजायाफ्ता को दी पैरोल, कहा- कैदी के साथ गुलाम जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता

दिल्ली हाई कोर्ट ने बलात्कार और हत्या के दोषी एक सजायाफ्ता कैदी को पैरोल देते हुए कहा कि वह 20 साल से अधिक समय से जेल में है और उसके साथ गुलाम जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने जेल अधिकारियों से अधिक संवेदनशीलता दिखाने की उम्मीद जताई.

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार व हत्या से जुड़े एक मामले में सजायाफ्ता एक व्यक्ति की पैरोल देते हुए कहा कि अगर वह 20 साल से अधिक समय से जेल में है तो उसके साथ गुलाम जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता ने अपने अपराध के लिए दो दशक से अधिक समय जेल में बिताया है.

अदालत ने कहा कि अपराधी को उसके जीवन के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है1. उसके जेल में रहने के कारण कोई बुनियादी मौलिक मानवाधिकार हासिल नहीं है. अब समय आ गया है कि जब इस तरह के मामलों का निपटारा करते समय जेल अधिकारी थोड़ी अधिक संवेदनशीलता दिखाएं. सजायाफ्ता व्यक्ति ने पैरोल पर चार.सप्ताह के लिए रिहा किए जाने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है.

याचिकाकर्ता ने वर्ष 2022 में आत्महत्या करने की कोशिश की थी. उसने जेल अधिकारियों से कहा कि वह उसके साथ थोड़ी अधिक संवेदनशीलता दिखाएं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वांछित अवधि के लिए पैरोल पर रिहा कर दिया.

साथ ही कहा कि उसे जेल अधिकारियों से उम्मीद थी कि वे याचिकाकर्ता की पैरोल अर्जी को.सामान्य बताने के बजाए उसमें दिए गए आधार को सत्यापित करने के लिए थोड़ा और प्रयास करते. उम्रकैद की सजा काट रहे यह व्यक्ति गरीब है और वह अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए पैरोल चाहता है.

ये भी पढ़ें: पाकिस्तान में रची गई थी पहलगाम हमले की पूरी साजिश? 5 आतंकियों की हुई पहचान, NIA की शुरूआती जांच में हुआ खुलासा

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read