

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा का मामला नहीं होने के बावजूद घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 17 के तहत महिला को साझा घर में रहने की उसकी मांग वैध है. न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि इसको लेकर महिला अधिनियम की धारा 12 के तहत मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष आवेदन या शिकायत दाखिल कर सकती है और वह सुनवाई योग्य है.
न्यायमूर्ति ने यह बात पति और उसके माता-पिता की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए कही, जिसमें उन्होंने घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत प्रतिवादी पत्नी की शिकायत को खारिज करने की मांग की थी. याचिकाकर्ता की पत्नी सेना में अधिकारी हैं. याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर शिकायत को खारिज करने की मांग की कि शिकायत समय-सीमा के बाद दाखिल की गई है. उसपर मजिस्ट्रेट की अदालत विचार नहीं कर सकता है. दूसरी बात कि उसमें घरेलू हिंसा का मामला नहीं है. दोनों दिल्ली से बाहर भी रह रहे हैं.
हाईकोर्ट ने माना कि धारा 12 के तहत शिकायत समय सीमा से बाहर नहीं है. साथ ही महिला अपने पति के साझा घर में रहने का दावा कर सकती है. न्यायमूर्ति ने यह कहते हुए पति सहित उनके माता-पिता की याचिका को खारिज कर दिया. पत्नी ने मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष कानून के तहत संरक्षण, निवास आदेश, मौद्रिक राहत और बच्चे की हिरासत के साथ-साथ मुआवजा की मांग की है. वह इसके लिए शिकायत दर्ज कराई है. यह अभी लंबित है.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.