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अपहरण और हत्या के मामले में JACKSELF सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने 1990 में कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति मुशीर-उल-हक और उनके सचिव के अपहरण व हत्या मामले में आरोपियों को बरी करने का फैसला बरकरार रखा, सीबीआई की अपील को खारिज किया.

Supreme Court
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

1990 कश्मीर अपहरण और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा बरी करने का फैसला

1990 में कश्मीर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति मुशीर-उल-हक और उनके निजी सचिव के अपहरण और हत्या के मामले में प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर स्टूडेंट्स लिबरेशन फ्रंट के कथित सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट द्वारा बरी किए जाने को सही ठहराया है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सीबीआई की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि टाडा जैसे कठोर कानूनों को खत्म किए जाने का यही कारण है.

सीबीआई ने अपनी अपील में निरस्त हो चुके आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1987 (टाडा) के तहत सात लोगों के बरी किए जाने के खिलाफ दायर की गई थी. कोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों की पूरी तरह से अनदेखी की गई. जिसके चलते आरोपी और उनके परिजनों को न्याय नही मिल पाया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि इस मामले में पुलिस अधिकारियों को दिए गए विशेषाधिकारों का दुरुपयोग किया गया.

रोपियों के खिलाफ नहीं मिला कोई भी ठोस सबूत

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि बीएसएफ कैंप में दर्ज किए गए कबूलनामे को स्वतंत्र वातावरण में दिया गया नही माना जा सकता, क्योंकि ऐसे में आरोपी पर दबाव बना रहता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पेशल कोर्ट के फैसले में कोई गलती नहीं है और बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ कोई भी ठोस सबूत नहीं मिला. बता दें कि 6 अप्रैल 1990 को आतंकियों ने कुलपति मुशीर-उल-हक और उनके निजी सचिव अब्दुल गनी का अपहरण कर लिया था.

अपहरण करने का मुख्य मकसद सरकार पर दबाव बनाकर जेल में बंद निसार अहमद जोगी, फैयाज अहमद वानी और गुलाम नबी भट्ट को रिहा करवाना था. यह साजिश हिलाल बेग प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जेकेएसएलएफ का स्वयंभू चीफ कमांडर था. जिसने मुश्ताक अहमद शेख, मुस्ताक अहमद खान, मोहम्मद हुसैन खान, जावेद शाला, सलीम जारगर और तारिक अहमद मीर के साथ मिलकर साजिश रची थी. इन सभी की शर्तों को सरकार ने मानने से जब इनकार कर दिया तो इन लोगों ने मुशीर-उल-हक और उनके निजी सचिव अब्दुल गनी की हत्या कर दी.

-भारत एक्सप्रेस



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