Bharat Express DD Free Dish

जस्टिस यशवंत वर्मा पर गंभीर आरोप सही, इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा

जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में कथित नकदी मिलने के मामले में इन-हाउस कमेटी की 64 पन्नों की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई. रिपोर्ट में आरोपों को सही ठहराते हुए जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की गई है.

Justice Yashwant Verma

जस्टिस वर्मा के घर मिले कथित नकदी के मामले में इन-हाउस कमेटी की 64 पेज की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है. समिति की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोप सही है. तत्कालीन सीजेआई द्वारा गठित समिति ने 10 दिन में 55 गवाहों के बयान दर्ज किए, इसके अलावे कई बैठकें हुई और समिति ने जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास का दौरा किया जहां आग लगी थी.

समिति ने बयान के अलावा वीडियो रिकॉर्डिंग भी किया, ताकि यह सुनिश्चित की जा सके कि इसे चुनौती न दी जा सके. समिति की 64 पेज की रिपोर्ट के अंत में दो पैराग्राफ हैं, जो यह निष्कर्ष निकालते हैं कि नकदी 30 तुगलक क्रिसेंट, नई दिल्ली के स्टोर रूम में पाई गई थी, जो आधिकारिक तौर पर जस्टिस वर्मा के कब्जे में था और यह स्टोर रूम तक पहुच जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों के गुप्त या सक्रिय नियंत्रण में पाई गई थी.

55 गवाहों के बयान और कई बैठकें

समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा 22 मार्च के पत्र में उठाए गए आरोपों में पर्याप्त तथ्य है और यह सही पाया गया है कदाचार इतना गंभीर है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू करने की आवश्यकता है. रिपोर्ट में कम से कम 10 गवाहों ने जले हुए या आधे जले हुए नोट देखने की बात कही है.

समिति के समक्ष एक गवाह ने अपने बयान में कहा है कि जैसे ही मैं अंदर गया, मैंने देखा कि दाहिनी ओर और सामने, फर्श पर केवल 500 रुपए के नोटों का एक बड़ा ढेर पड़ा था. मुझे यकीन नहीं है कि 500 रुपए के ऐसे कोई नोट वहां थे या नहीं…मैं हैरान रह गया और इतनी बड़ी मात्रा में नकदी फर्श पर बिखरी हुई थी, जिसे मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा. जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा द्वारा कथित तौर पर सबूतों को नष्ट करने या आग के स्थान की सफाई करने में संदिग्ध भूमिका की भी जांच की है.

आग बुझाने वाले कर्मियों की रिपोर्ट से छेड़छाड़ का आरोप

यह भी कहा गया है कि कार्की ने कथित तौर पर आग बुझाने वाले फायरमैन को निर्देश दिया कि वे अपनी रिपोर्ट में नोटों के जलने और अगले दिन कमरे की सफाई करने का उल्लेख ना करें, जिसका उन्होनें (कार्की) ने खंडन किया है. तत्कालीन सीजेआई द्वारा गठित समिति ने 3 मई को अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को सौंपी. जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थी.

ये भी पढ़ें: तलाक समझौते के बाद पूर्व पति पर केस, दिल्ली अदालत ने महिला के खिलाफ शुरू की कार्यवाही

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read