
कड़कड़डूमा कोर्ट

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगे के दौरान तोड़फोड़, आगजनी और चोट पहुंचाने को लेकर 57 लोगों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है. उसने कहा कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है. उसने इसके साथ ही सभी आरोपियों को साजिश रचने के आरोप से मुक्त कर दिया है.
कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमांचला ने मुख्य वजीराबाद रोड व चांद बाग के पास दंगे को लेकर दयालपुर थाने में दर्ज मामले में आरोप तय करने का आदेश दिया है. यह दंगा 24 फरवरी, 2020 को हुआ था. न्यायाधीश ने कहा कि पेश साक्ष्यों से पता चलता है कि आरोपी एक गैरकानूनी जमावड़े का हिस्सा थे, जो उत्पात मचाने एवं संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की साझा मंशा से एकत्र हुए थे.
एकत्र होने के मकसद को पूरा करने के लिए उन्होंने एक ट्रक, एक दोपहिया वाहन और एक गोदाम को आग लगा दी. दंगाइयों की भीड़ में सभी आरोपियों की मौजूदगी कई गवाहों ने अपने बयान में की है. न्यायाधीश ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ तोड़फोड़ और आगजनी का मामला बनता है. इसके अलावा ओम प्रकाश नामक व्यक्ति को गलत तरीके से रोकने और उसे चोट पहुंचाने का भी मामला बनता है.
साजिश रचने वाले आरोपियों को मुक्त कर दिया
मुझे लगता है कि सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करना), 435 (सौ रुपए या उससे अधिक की राशि का नुकसान पहुंचाने के इरादे से आग लगाना), 436 (मकान को नष्ट करने के इरादे से आग लगाना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से रोकना) के साथ धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र होना) और 188 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा करने) के तहत दंडनीय अपराध का मामला बनता है.
अदालत ने आरोपियों को आपराधिक साजिश रचने के आरोप से मुक्त कर दिया है. साथ ही कहा कि गवाहों के बयान से उनके व अन्य लोगों के बीच पूर्व सहमति के तत्व का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. उनके बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि मेन वजीराबाद रोड और 25 फुटा रोड, चांद बाग के पास भीड़ जमा हो गई थी. भीड़ बाद में हिंसक हो गई थी और दंगा, तोड़फोड़ और आगजनी करने लगी थी.
-भारत एक्सप्रेस
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