
एम्स नई दिल्ली.
Nitish Katara Case: साल 2002 के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड मामले में तिहाड़ जेल में बंद दोषी विकास यादव की माँ के स्वास्थ्य मूल्यांकन को लेकर एम्स के मेडिकल बोर्ड के कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने मेडिकल रिपोर्ट को सरसरी बताते हुए कहा कि यह स्पष्ट नही किया गया कि विकास यादव की मां को सर्जरी की जरूरत है भी या नही.
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी मेडिकल बोर्ड काम करने के लिए तैयार नही है. एम्स की रिपोर्ट सबसे ज्यादा लापरवाह है. मेडिकल रिपोर्ट सिर्फ डॉक्टर को कथन बताने वाले पोस्टमार्टम नही हो सकता. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एम्स के डायरेक्टर को मेडिकल बोर्ड के गठन कर रिपोर्ट देने को कहा था. विकास यादव की माँ की तबियत खराब है और वो गाजियाबाद में यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती है, जिनकी देखरेख के लिए विकास यादव ने अंतरिम जमानत की मांग की है.
मेडिकल बोर्ड गठित कर रिपोर्ट देने का आदेश
मामले की सुनवाई के दौरान विकाश यादव की मां की तबियत खराब है, वह 23 साल से जेल में बंद है. लिहाजा माँ की देखभाल के लिए 15 दिन के लिए अंतरिम जमानत प्रदान की जाए. निचली अदालत और हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ विकास और विशाल यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर सुनवाई के बाद कोर्ट ने विकास और विशाल को आजीवन कारावास की सजा को 25 साल की सजा में तब्दील कर दिया था.
17 फरवरी 2002 को नीतीश कटारा की हत्या कर दी गई थी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड में विकास यादव और विशाल यादव को मौत की सजा देने से इंकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये मामला केवल हत्या का है न कि जघन्यतम अपराध का. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि इस मामले में आजीवन जेल में रखने की भी सजा नही दी जा सकती.
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-भारत एक्सप्रेस
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