
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद बिगड़ती कानून व्यवस्था के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पर आरोप लग रहें है कि हम कार्यपालिका के अधिकारों में दखल दे रहे है. वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि राज्य में हिंसा की स्थिति को देखते हुए अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती की आवश्यकता है. यह मामला 22 अप्रैल को सूचीबद्ध है. जिसपर जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने विष्णु शंकर जैन से कहा कि आप चाहते हैं और हम राष्ट्रपति को राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्देश दें? जस्टिस गवई ने कहा कि वैसे ही हम पर कार्यपालिका और विधायिका के क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लग रहा है.
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अन्य जगहों पर भड़की हिंसा
याचिका में केंद्र को राज्य में हालात सामान्य बनाने में प्रशासनिक अधिकारियों की मदद और किसी गड़बड़ी से उनकी रक्षा के लिए सशस्त्र, अर्धसैनिक बलों की तैनाती के लिए निर्देश देने का भी आग्रह किया है. दरअसल वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद सहित अन्य जगहों पर हिंसा भड़क गई है. हिंसा वाले इलाके से लोग पलायन के लिए मजबूर हो गए है. हालांकि इसको लेकर एक एसआईटी का गठन किया है. जो कमेटी जांच कर रही है.
विष्णु शंकर जैन ने दायर की थी याचिका
बता दें कि साल 2021 में वकील विष्णु शंकर जैन ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. जैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि असाधारण परिस्थितियों में जनहित याचिका दाखिल की गई है क्योंकि पश्चिम बंगाल के हजारों नागरिकों को विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्षी भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करने के लिए टीएमसी के कार्यकर्ता उन्हें धमका रहे, प्रताड़ित कर रहे.
याचिका में कही ये बात
याचिका में यह भी कहा गया था कि याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल के उन हजारों नागरिकों के हितों की वकालत कर रहे हैं जो ज्यादातर हिंदू हैं और भाजपा का समर्थन करने के लिए मुसलमानों द्वारा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि वे हिंदुओं को कुचलना चाहतें है ताकि आने वाले वर्षों में सत्ता उनकी पसंद की पार्टी के पास बनी रहे.
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