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सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को तलब किया

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए गोल्डन ऑवर में कैशलेस इलाज की योजना न बनाने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई और सचिव को तलब किया, अवमानना नोटिस जारी करने की चेतावनी दी.

Supreme Court
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने गोल्डन ऑवर ( दुर्घटना के बाद का पहला घंटा, जब त्वरित इलाज से मौत दर कम की जा सकती है) के दौरान सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज की योजना न बनाने पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई है. जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा कि आदेश का पालन नही करने पर अवमानना नोटिस जारी किया जाएगा.

जस्टिस अभय ओका ने कहा कि हम यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहे है कि यदि हमें यह पाया गया कि कोई प्रगति नहीं हुई है, तो हम अवमानना नोटिस जारी करेंगे. जस्टिस ओका ने टिप्पणी करते हुए कहा कि लोग अपनी जान गंवा रहे हैं क्योंकि इलाज नही मिल पा रहा है. सचिव को बुलाइये उन्हें आकर स्थितिस्पष्ट करने दीजिए. इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज की व्यवस्था करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के दायरे में आता है.

सरकार को दिया गया समय 14 मार्च को हुआ समाप्त

जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज सुनिश्चित करने के लिए योजना तैयार करने को कहा था. कोर्ट ने योजना को 14 मार्च 2025 तक तैयार करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार को दिया गया समय 14 मार्च 2025 को समाप्त हो चुका है.

हमारे अनुसार यह न केवल इस अदालत के आदेश का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि यह एक अत्यंत लाभकारी विधायी प्रावधान को लागू करने में विफलता का मामला है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज की योजना बनाना न केवल संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की रक्षा करता है, बल्कि यह मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 के तहत केंद्र सरकार का वैधानिक दायित्व भी है. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि योजना को.मोटर वाहन अधिनियम की 162 की उपधारा (2) के अनुसार यथाशीघ्र तथा किसी भी स्थिति में 14 मार्च 2025 तक लागू किया जाना चाहिए. यह भी साफ कर दिया था कि कोर्ट इसके लिए और समय नही देगा.

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-भारत एक्सप्रेस 



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