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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: सभी हाईकोर्ट जजों को मिलेगी समान पूर्ण पेंशन, नहीं होगा भेदभाव

सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट और अतिरिक्त जजों को सेवा काल और नियुक्ति की तारीख की परवाह किए बिना समान पूर्ण पेंशन देने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया.

प्रतीकात्मक चित्र

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में साफ कर दिया है कि देश के किसी भी हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त जज पूर्ण पेंशन पाने के हकदार हैं, चाहे वो किसी भी तारीख को सेवा में आए हों. कोर्ट ने यह भी कहा कि अतिरिक्त न्यायाधीश भी पूर्ण पेंशन पाने के हकदार है.

कोर्ट ने कहा कि जजों की एंट्री और कार्यकाल के आधार पर कोई पक्षपात नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि इस बात के आधार पर भेदभाव नही हो सकता कि वे कब सेवा में शामिल हुए और कब बार से न्यायिक सेवा में उनको नियुक्त किया गया.

एंट्री की तारीख या कार्यकाल से नहीं होगा भेदभाव

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के.साथ-साथ सभी जिला न्यायधीशों के लिए समान सेवानिवृत्त के बाद के लाभों का भी निर्देश दिया है. वन रैंक वन पेंशन के सिद्धांत का समर्थन करते हुए सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि वेतन की तरह ही सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों में एकरूपता न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा और न्यायिक कार्यालय की गरिमा को बनाए रखने के लिए जरूरी है.

सीजेआई गवई ने कहा कि हम मानते हैं और सेवानिवृत्ति के बाद टर्मिनल लाभों के लिए न्यायधीशों के बीच कोई भी भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार हाईकोर्ट्स के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायधीशों को प्रति वर्ष 15 लाख की पूरी पेंशन का भुगतान करेगी.

उच्च न्यायालय जजों को सालाना 13.6 लाख की पेंशन

कोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त न्यायधीशों सहित हाईकोर्ट ने न्यायाधीशों को प्रति वर्ष 13.6 लाख की पूरी पेंशन का भुगतान करेगी. केंद्र सरकार को हाईकोर्ट्स के.सेवानिवृत्त जजों के मामले में भी वन रैंक वन पेंशन के सिंद्धान्तों का पालन करना होगा. फिर चाहे जजों की एंट्री का स्रोत जिला न्यायालय या बार हो. साथ ही जजों ने कितने ही साल का कार्यकाल बतौर जज पूरा किया हो, सभी को एक.समान पेंशन दी जाए.

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-भारत एक्सप्रेस 



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