
सुप्रीम कोर्ट.

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडू के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के मामले में तमिलनाडू सरकार की ओर से दायर याचिका पर केंद्र सरकार, यूजीसी और राज्यपाल कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने यह नोटिस जारी किया है.
तमिलनाडू सरकार द्वारा दायर याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडू के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल की भूमिका कम करने वाले नए कानून के अमल पर रोक लगा दिया था.
तमिलनाडू सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से यह स्पष्ट करने को कहा कि मद्रास हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में लंबित चुनौती के बावजूद 14 जुलाई को रोक हटाने के लिए उसके आवेदन पर सुनवाई कर सकता है. जबकि यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि तमिलनाडु ने भी सभी संबंधित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए एक स्थानांतरण याचिका दायर की है.
यूजीसी के नियमों से टकराव का विवाद
एसजी मेहता ने मामले मो सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की मांग नही कर सकते हैं और ना ही हाई कोर्ट से आदेश के लिए दबाव बना सकते हैं. एसजी ने कहा कि राज्य के कानून यूजीसी के नियमों के बिल्कुल प्रतिकूल हैं.
हाई कोर्ट द्वारा तमिलनाडु सरकार को विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने की अनुमति की अनुमति देने वाले 10 अधिनियमों के संचालन प्रावधानों पर रोक लगाने के आदेश जारी करने के बाद, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर रखा है. यह संशोधन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों से टकरा रहा था, जो कुलपतियों की नियुक्ति को कुलाधिपति (राज्यपाल) के हाथों में अनिवार्य रूप से देखता है.
यह याचिका तिरुनेलवेली के एक वकील और बीजेपी कार्यकर्ता के. वेंकचलपति ने दायर की थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि ये संशोधन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों, विशेष रूप से 2018 के नियम 7.3 के विपरीत हैं, जो उप-कुलपतियों की नियुक्ति के लिए कुलाधिपति द्वारा एक सर्च कमेटी की सिफारिशों के आधार पर प्रक्रिया निर्धारित करते है.
-भारत एक्सप्रेस
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