Bharat Express

सड़क हादसों पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और राज्यों को नोटिस, गोल्डन ऑवर में कैशलेस इलाज सुनिश्चित करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए गोल्डन ऑवर में कैशलेस इलाज की योजना लागू न करने पर केंद्र को फटकार लगाई. सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से त्वरित प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल बनाने को कहा.

Court

रोड़ एक्सीडेंट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों से सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को तत्काल सहायता सुनिश्चित करने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा याचिकाकर्ता ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है. हमारे देश में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं. इसके कारण अलग-अलग हो सकते है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को तलब किया था. साथ ही कोर्ट ने गोल्डन ऑवर ( दुर्घटना के बाद का पहला घंटा, जब त्वरित इलाज से मौत दर कम की जा सकती है) के दौरान सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज की योजना न बनाने पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई थी.

कैशलेस इलाज में देरी पर केंद्र सरकार को फटकार

कोर्ट ने कहा था कि आदेश का पालन नही करने पर अवमानना नोटिस जारी किया जाएगा. जस्टिस अभय ओका ने कहा था कि हम यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहे है कि यदि हमें यह पाया गया कि कोई प्रगति नहीं हुई है, तो हम अवमानना नोटिस जारी करेंगे. जस्टिस ओका ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि लोग अपनी जान गंवा रहे हैं क्योंकि इलाज नही मिल पा रहा है. सचिव को बुलाइये उन्हें आकर स्थिति स्पष्ट करने दीजिए.

इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज की व्यवस्था करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के दायरे में आता है. जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज सुनिश्चित करने के लिए योजना तैयार करने को कहा था. कोर्ट ने योजना को 14 मार्च 2025 तक तैयार करने का निर्देश दिया था.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार को दिया गया समय 14 मार्च 2025 को समाप्त हो चुका है. हमारे अनुसार यह न केवल इस अदालत के आदेश का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि यह एक अत्यंत लाभकारी विधायी प्रावधान को लागू करने में विफलता का मामला है.

योजना लागू करने में विफलता को माना गंभीर उल्लंघन

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस इलाज की योजना बनाना न केवल संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार की रक्षा करता है, बल्कि यह मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 के तहत केंद्र सरकार का वैधानिक दायित्व भी है. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि योजना को.मोटर वाहन अधिनियम की 162 की उपधारा (2) के अनुसार यथाशीघ्र तथा किसी भी स्थिति में 14 मार्च 2025 तक लागू किया जाना चाहिए. यह भी साफ कर दिया था कि कोर्ट इसके लिए और समय नही देगा.

ये भी पढ़ें: बेदाग शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 31 दिसंबर 2025 तक पढ़ा सकेंगे

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read