

बीजेपी नेता निशिकांत दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लेकर की गई टिप्पणी पर कोर्ट ने आदेश पारित कर दिया है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने यह फैसला दिया है. कोर्ट ने यह भी माना कि यह भड़काऊ भाषण के दायरे में आता है और इसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए. लेकिन कोर्ट ने अवमानना की कार्यवाही से इनकार किया है. कोर्ट ने कहा कि की यह बयान बेहद गैरजिम्मेदाराना है और ध्यान आकर्षित करने की प्रवृति को दर्शाता है.
कोर्ट ने कहा कि अदालतें फूलों की तरह नाजुक नहीं है, जो इस तरह के हास्यास्पद बयानों के सामने मुरझा जाए. कोर्ट ने कहा कि हम साफ कर कर देना चाहते हैं कि सांप्रदायिक घृणा फैलाने या अभद्र भाषा का प्रयोग करने के किसी भी प्रयास भी सख्ती से निपटा जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अभद्र भाषा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे लक्षित समूह के सदस्यों की गरिमा और आत्म-सम्मान को ठेस पहुचती है.
मुख्य न्यायाधीश पर दिया विवादित बयान
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दुबे के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेकर आपराधिक अवमानना कार्यवाही करने और वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के संदर्भ में राजनीतिक नेताओं द्वारा की गई टिप्पणी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी. बता दें कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधा.
दुबे ने पोस्ट में लिखा, “कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा, तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए.” इसके बाद निशिकांत दुबे ने मीडिया से बात करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को लेकर एक और विवादित बयान दे डाला. उन्होंने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इस देश में जितने भी गृह युद्ध हो रहे हैं उसके लिए केवल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ही जिम्मेदार है.
उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है और देश में धार्मिक युद्ध भड़काने का जिम्मेदार भी वही है. वही बीजेपी के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देशित नहीं कर सकता है.
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-भारत एक्सप्रेस
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