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सुप्रीम कोर्ट ने बरेली कोर्ट की लव जिहाद टिप्पणी हटाने की याचिका की खारिज, जानें क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने बरेली के फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा लव जिहाद पर की गई टिप्पणी हटाने से इनकार किया, कहकर कि यह आपराधिक मामले से संबंधित था और जनहित याचिका के रूप में नहीं सुनी जा सकती.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Bareilly Court On Love Jihad: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के फास्ट ट्रेक कोर्ट की ओर से लव जिहाद को लेकर की गई टिप्पणी को हटाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि फैसला एक आपराधिक मामले पर आया था. याचिकाकर्ता नक उससे कोई संबंध नही था. इस तरह के मामले जनहित याचिका के रूप में नही सुने जा सकते, निचली अदालत ने एक फैसले में जज ने लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल करते हुए गंभीर टिप्पणी की थी.

लव जिहाद शब्द से हुआ था विवाद

इस टिप्पणी में लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल किया गया था. इसी के खिलाफ केरल के कोझिकोड के रहने वाले अनस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्ठी की बेंच ने याचिकाकर्ता अनस से पूछा कि आपको इस टिप्पणी से क्या दिक्कत है. निचली अदालत ने अपने फैसले में साफ लिखा है कि ये टिप्पणी तथ्यों के आधार पर की गई है.

अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल हुई थी याचिक

याचिकाकर्ता ने यह याचिका अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल की थी. कोर्ट ने कहा कि आप बस व्यस्त है और आपका कोई अधिकार क्षेत्र नही है. यदि साक्ष्य के आधार पर कुछ टिप्पणियां की गई है कि क्या उन्हें हम हटा सकते है? बरेली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने छात्रा को धोखा देकर शादी करने वाले मोहम्मद आलिम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. साथ ही कोर्ट ने लव जिहाद को लेकर कई टिप्पणी की थी.

अपने बयान से मुकर गई थी महिला

हालांकि महिला अपने बयान से मुकर गई थी. महिला ने अपने बयान में कहा था कि वह कोचिंग सेंटर में एक लड़के से मिली. लड़के ने खुद को आनंद कुमार बताया था. दोनों में प्यार हुआ और दोनों ने बाद में शादी कर लिया था. लेकिन शादी के बाद पता चला कि लड़का मुस्लिम समुदाय से था. उसका असली नाम आलिम था. जिसके बाद लड़के के खिलाफ रेप सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. जिस मामले में कोर्ट ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

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-भारत एक्सप्रेस 



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