

तीस हजारी कोर्ट ने एक 16 वर्षीय लड़की को गर्भवती करने वाले 45 वर्षीय व्यक्ति को आजीवन की सजा सुनाई है. व्यक्ति ने उसके साथ एक साल तक दुष्कर्म किया था और फरवरी में लड़की ने एक बच्ची को जन्म दिया था. दोषी अशिक्षित था, लेकिन उसने लड़की को उपहार, भोजन और मोटरसाइकिल की सवारी का लालच देकर फुसलाया था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने कहा कि ऐसे समाज में रहना बहुत डरावना है, जहां बच्चे असुरक्षित हैं. गिद्ध जैसे लोग अपनी हवस मिटाने के लिए उनका शिकार करते हैं. उन्होंने इसके साथ ही सरकार से पीड़िता को 19.5 लाख रुपए का मुआवजा देने को कहा है. न्यायाधीश ने कहा कि मुआवजे की राशि से उसकी पीड़ा की भरपाई नहीं की जा सकती, लेकिन वित्तीय सहायता से वह खुद को शिक्षित कर सकेगी व कुछ हद तक आत्मनिर्भर बन सकेगी.
दोषी के साथ नरमी बरतने से किया इनकार
अदालत ने बाहरी चोट नहीं होने के आधार पर दोषी के साथ नरमी बरतने से इनकार कर दिया और कहा कि उसने पीड़िता को जानबूझकर अपने साथ घर ले गया था जिससे उसके साथ दुष्कर्म कर सके. उसने कहा कि बलात्कार अपने आप में एक हिंसक अपराध है, जो न केवल शरीर पर, बल्कि पीड़िता के मन और आत्मा पर भी निशान छोड़ता है. अगर उसके शरीर पर कोई अतिरिक्त चोट नहीं है तो उस आधार पर सजा को कम नहीं किया जा सकता है.
अदालत ने यह भी कहा कि बच्चों के साथ बलात्कार न केवल कानूनी रूप से दंडनीय है, बल्कि नैतिक रूप से भी घृणित है. दोषी भले ही स्कूल नहीं गया है, लेकिन जो उसने जघन्य अपराध किया है, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है. ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे पता चले कि उसकी निरक्षरता ने उसे अपराध करने के लिए प्रेरित किया.
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-भारत एक्सप्रेस
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