Gurpatwant Singh Pannun
UAPA ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें गुरपतवंत सिंह पन्नू के नेतृत्व वाले सिख फॉर जस्टिस पर आतंकवादी गतिविधियों के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता के नेतृत्व वाले न्यायाधिकरण ने सिख फॉर जस्टिस ने केंद्र सरकार के सबूतों को सही पाया है.
केंद्र सरकार ने सबूत के तौर पर सोशल मीडिया के जरिये युवाओं की भर्ती और उन्हें कट्टर बनाना, हथियारों और विस्फोटको की खरीद के लिए तस्करी नेटवर्क के जरिये आतंवाद को वित्तपोषित करना, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की हत्या की धमकी देना और सेना में शामिल सिखों में विद्रोह पैदा करने की कोशिश करने से संबंधित सबूत न्यायाधिकरण को मुहैया कराया था, जिसे सही पाया गया.
जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने साक्ष्यों को विश्वसनीय माना है, खास कर एसएफजे के बब्बर खालसा इंटरनेशनल सहित अंतरराष्ट्रीय खालिस्तानी आतंकवादी और अलगाववादी समूहों के साथ संबंधों को सही पाया है. न्यायाधिकरण ने एसएफजे के पाकिस्तान की आईएसआई से संबंधों और पंजाब में उग्रवाद को पुनर्जीवित करने के उनके प्रयासों का भी उल्लेख किया.
एसएफजे को गैरकानूनी संगठन किया घोषित
केंद्र सरकार ने 10 जुलाई 2024 से पांच साल की अवधि के लिए एसएफजे को गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है और उस पर अतिरिक्त पांच साल का प्रतिबंध लगाया है. गृह मंत्रालय ने भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के उद्देश्य से राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में एसएफजे की संलिप्तता का हवाला देते हुए गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत प्रतिबंध बढ़ाया है.
गृह मंत्रालय की तरफ से जारी एक अधिसूचना के अनुसार एसएफजे को भारत की आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल पाया गया है, जिसमें भारतीय क्षेत्र से एक संप्रभु खालिस्तान बनाने के लिए पंजाब सहित अन्य जगहों पर हिंसक उग्रवाद और उग्रवाद का समर्थन करना शामिल था.
-भारत एक्सप्रेस
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