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विपक्ष के विरोध के बीच वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पास, कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

विपक्ष के विरोध के बीच वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया. कांग्रेस ने इसे मुस्लिम विरोधी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. नए कानून से राज्य सरकारों को अधिक शक्ति मिलेगी.

Waqf Amendment Bill
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य सभा में पास हो गया है. राष्ट्रपति के मुहर के बाद यह कानून बन जाएगा. लेकिन उससे पहले ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुच गया है. कांग्रेस नेता जावेद अहमद ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि यह मुस्लिम विरोधी कानून है. यहां मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है. हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी और बिल की वैधता को चुनौती देगी.

सुप्रीम कोर्ट को संविधान का संरक्षक माना जाता है. ऐसे में वह यह सुनिश्चित करने के लिए संसद के बनाए गए कानूनों की समीक्षा करता है कि वे संविधान के अनुरूप हों. यदि सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि कोई कानून संविधान के खिलाफ हैं, तो वह उसे रद्द कर सकता है. हालांकि संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है., लेकिन.वो संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती है. आम तौर पर बहुत कम देखने को मिला है कि संसद द्वारा पारित कानून को सुप्रीम कोर्ट रद्द किया हो. हालांकि कानून के जानकार मानते है कि संविधान के अनुच्छेद 13 के अनुसार यदि कोई कानून संविधान के विरुद्ध होता है तो उसे सुप्रीम कोर्ट रद्द कर सकता है.

किसी भी तरह के संपत्ति विवाद में जा सकेंगे हाई कोर्ट

नए बिल के कानून बन जाने के बाद वक्फ की संपत्ति का विवाद सुलझाने में अब राज्य सरकारों को पहले से अधिक शक्तियां हासिल होंगी. हालांकि प्रस्तावित कानून का असर पुरानी मस्जिदों, दरगाहों या मुसलमानों के धार्मिक संस्थानों पर नहीं पड़ेगा, लेकिन बिल में किए गए परिवर्तनों में वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है. 1995 के वक्फ बिल में यह प्रावधान था कि वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला ही आखिरी फैसला माना जाता था. अब किसी भी तरह के संपत्ति विवाद में हाई कोर्ट जा सकेंगे.

पहले कोई भी संपत्ति सिर्फ दावे के आधार पर ही वक्फ की हो जाती थी. नए बिल में दान किए बिना किसी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना अधिकार नहीं जता सकेगा. नए बिल में कलेक्टर को संपत्ति का सर्वे करने और संपत्ति निर्धारण का अधिकार दिया गया है. वही वक्फ बोर्ड में महिला और अन्य धर्म से दो सदस्य होने का प्रावधान किया गया है. इससे पहले बोर्ड में महिला और अन्य धर्म के सदस्य नहीं होते थे. वक्फ अब बिना दान के किसी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता है. पहले यदि वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति का दावा करता था, तो उसे वक्फ की संपत्ति माना जाता था.

हालांकि विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं. उनका दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों को कमजोर करेगा और सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाएगा. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने विपक्ष और एनडीए के सहयोगी दलों से इस बिल का विरोध करने की अपील की हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड का तर्क है कि यह वक्फ बोर्ड बिल न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के तहत मौलिक अधिकारों के प्रावधानों भी उल्लंघन करता है.

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-भारत एक्सप्रेस



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