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वक्फ बोर्ड संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, सांसदों और नेताओं ने उठाया विरोध

वक्फ बोर्ड संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विरोध जारी है. विभिन्न नेताओं और संगठनों ने कानून को असंवैधानिक और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन बताया है.

Waqf Board
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

वक्फ बोर्ड संशोधन कानून को चुनौती सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का सिलसिला लगातार जारी है. जेडीयू नेता परवेज सिद्धकी के बाद संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने वकील सुलेमान खान के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जियाउर्रहमान बर्क ने अपनी याचिका में कहा है कि कानून में किया गया बदलाव मनमाने, असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला है.

वही अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा वक्फ कानून में किए गए बदलाव सही है. यह याचिका अखिल भारत हिंदू महासभा के सदस्य सतीश अग्रवाल ने वकीलबरुण सिन्हा की ओर से दायर की है. याचिका में वक्फ बोर्ड कानून में किए गए बदलाव को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि पुराने कानून नक सेक्शन 40 वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार देता था.

लाखों एकड़ जमीन पर किया कब्जा

इसकी आड़ में वक्फ बोर्ड ने दूसरों की लाखों एकड़ जमीन पर कब्जा किया है. इसलिए कानून में बदलाव जरूरी था. अब तक इस कानून के खिलाफ डेढ़ दर्जन याचिका दाखिल हो चुकी है.जिनमें कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AMIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, समस्त केरल जमीयतुल उलमा, मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, अंजुम कादरी, तैय्यब खान, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी, आरजेडी सांसद मनोज झा और जेडीयू नेता परवेज सिद्दीकी, समाजवादी पार्टी से सांसद जियाउर्रहमान बर्क, अखिल भारत हिंदू महासभा के सदस्य सतीश अग्रवाल शामिल है.

वही केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में कैवीएट दायर की गई है. संसद से बजट सत्र में पास वक्फ (संशोधन) बिल, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है. गजट नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही वक्फ अधिनियम 1995 का नाम भी बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशियंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) अधिनियम 2025 हो गया है. अमानतुल्लाह खान ने अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दायर की है, जिसमें हालही में लोकसभा और राज्यसभा से पास वक्फ संशोधित बिल के कानूनी वैधता को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, संस्कृति और संपत्ति के अधिकारों के खिलाफ है.

मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की दी चुनौती

वक्फ बोर्ड को केंद्र सरकार के अधीन लाकर अल्पसंख्यक समुदाय के स्वायत्तता को कमजोर की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि ट्रिब्यूनल के न्यायिक शक्तियों को जिला कलेक्टर को सौंपना गलत है. जबकि असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी याचिका में विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. संसद में भी ओवैसी ने वक्फ बिल का विरोध किया था और प्रतीकात्मक तौर पर इसकी एक कॉपी भी फाड़ दी थी.

वही कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर कर वक्फ संशोधन विधेयक को मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा गया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 24 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और अनुच्छेद 300 ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है.

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-भारत एक्सप्रेस



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